नेताजी की जयंती पर देवसदन में परिचर्चा व कवि गोष्ठी

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कुल्लू । नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में कुल्लू के देवसदन में भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा कवि गोष्ठी व परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें जिला के जाने-माने इतिहासकारों, कवियों, लेखकों व बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर विशेष तौर पर उपस्थित रही।

पर्वतारोहण संस्थान मनाली के पूर्व निदेशक कैप्टन रणधीर सिंह सलुरिया ने बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में सुभाष चन्द्र बोस की जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नेताजी आजादी के लड़ाई के अग्रदूत थे जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के विरूद्ध लड़ने के लिये आजाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा राष्ट्रीय नारा बन गया। उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ जैसे क्रांतिकारी नारों से देश के युवाओं मेें जोश भरने का काम किया। दिल्ली चलो का नारा भी उन्होंने ही दिया था। 21 अक्तूबर 1943 को सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार तक बना दी थी। उन्होंने कहा कि नेताजी के गुरू रास बिहारी बोस पर जब अंग्रेजी हकूमत ने जिंदा अथवा मुर्दा पकड़ने पर एक लाख रुपये का इनाम रखा था, उस समय व भूमिगत हो गये थे और उनके घर में कई दिनों तक रहे थे। आज भी इनकी मुर्ति लाहौल-स्पिति के जिला मुख्यालय केंलग में स्थापित है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार सत्यपाल भटनागर ने भी नेताजी की जीवनी पर प्रकाश डाला तथा उनके क्रांतिकारी विचार सांझा किये। उन्होंने कुल्लू जिला से संबंध रखने वाले आजाद हिन्द फौज मंे शामिल स्वतन्त्रता सेनानियों के बारे में भी चर्चा की।
परिचर्चा के दौरान हीरा लाल ठाकुर व देवेन्द्र गौड़ ने नेताजी पर शोधपत्र पढ़े। डॉ. सीता राम ठाकुर, डॉ. सूरत ठाकुर, धनेश गौतम, जी.सी. चम्बयाल व युवराज बोद्ध ने शोधपत्र पर चर्चा की। इसके अलावा, अमरा देवी, भगवान प्रकाश, अनिता, कमल चंद, संगीता, बैशाली विष्ट, विक्रांत, शालू देवी, अनुरंजनी गौतम, इंदु नवनीत भारद्वाज, भुपेन्द्र गौतम, पंडित लीला गोपाल शर्मा, राम कृष्ण शर्मा, मनमोहन गौतम, हिरासत अली खान, गगन विजय, भवानी सिंह आदि ने कवि गोष्ठी में भाग लेकर नेताजी सुभाष चंन्द्र बोस को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

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