करसोग। करसोग में स्थानीय निकायों चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही बरल वार्ड की जनता ने चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। बुधवार को बरल वार्ड नंबर 7 की जनता की लोकनिर्माण विभाग के विश्राम गृह बरल स्थित परिसर में आम बैठक आयोजित हुई। जिसकी अध्यक्षता रमेश शर्मा ने की। जिसमें बरल वार्ड के कुछ लोगों ने जनता के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होकर करसोग में लागू धारा 144 का पालन करते हुए बैठक में हिस्सा लिया । जिसमें सर्वसम्मति से चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया गया। लोगों का तर्क था कि जनता की सहमति के बिना ही सरकार ने क्षेत्र को नगर पंचायत में शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी। इसके लिए ग्रामीणों की सहमति लिए बिना ही बरल को नगर पंचायत परिधि में मिलाया गया, जबकि बरल एक ग्रामीण क्षेत्र है यहां लोगों का मुख्य पेशा कृषि है। जनता आर्थिक तौर पर भी समृद्ध नहीं है। ऐसे में बरल वार्ड की जनता नगर पंचायत परिधि में लगने वाले कई तरह के टेक्स का बोझ नहीं उठा सकती है। यही नहीं बरल को नगर पंचायत न मिलाए जाने को लेकर भी लोगों ने विभिन्न मंचों के माध्यम से सरकार से मामला उठाया, लेकिन जनता की कहीं पर भी सुनवाई नहीं हुई। इस कारण जनता में भारी रोष है। ऐसे में लोगों ने नगर पंचायत चुनावों में बरल वार्ड से कोई भी सदस्य नामांकन पत्र नहीं भरेगा पिछली बार हुए स्थानीय निकायों के चुनाव का भी वार्ड की जनता बहिष्कार कर चुकी है। करसोग को नगर पंचायत का दर्जा देते हुए यहां 7 वार्ड बनाए गए थे। जिसमें पिछली बार बरल और ममेल वार्ड की जनता ने नगर पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया था। जिसमें लंबी लड़ाई लड़ने के बाद ममेल वार्ड को इस बार नगर पंचायत से बाहर कर फिर से पंचायत बना दिया है, लेकिन बरल वार्ड की जनता नगर पंचायत से बाहर होने के लिए अभी भी संघर्ष कर रही है। नगर निकाय चुनावों के लिए 24 दिसम्बर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है। जिसके तहत करसोग नगर पंचायत में भी 24 , 26 व 28 दिसम्बर को नामांकन होने हैं।
क्या कहते हैं अध्यक्ष:
बरल बहिष्कार समिति के अध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा की नगर पंचायत बनने से यहां रहने वाली गरीब जनता पर एक बोझ आ गया है। इसके अतिरिक्त लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों में मिलने वाली कई तरह की सुविधाएं भी छिन गई है। उन्होंने कहा कि जब तक बरल वार्ड को नगर पंचायत से बाहर नही किया जाता तब तक संघर्ष जारी रहेगा ।