शिमला। जड़ी-बूटियों को उगाने के लिए और इसे रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार आयुर्वेद, सहकारिता, कृषि और वन विभाग की एक संयुक्त नीति बनाने पर विचार करेगी। यह जानकारी स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने सदन में ज्वालामुखी के भाजपा विधायक रमेश ध्वाला की ओर से नियम 61 के तहत लाई गई चर्चा के जवाब में दी। प्रश्नकाल में लाए गए सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने यह चर्चा लाई। ध्वाला ने पूछा कि प्रदेश में कितने हर्बल गार्डन तैयार करवाए जा रहे हैं। जहां सरकारी जमीन है, वहां जड़ी-बूटियां लगाई जाएं। आज परंपरागत कृषि के अलावा अगर किसान जड़ी-बूटियों को भी उगाता है तो इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।
मंत्री सैजल ने कहा कि ई-चरक एक वेबपोर्टल है। कितने मूल्य की जड़ी-बूटी है, कहां बेच सकते हैं यहां इसकी जानकारी मिल सकती है। जड़ी-बूटी बाजार एक त्रैमासिक पत्रिका से भी जानकारी मिल सकती है। ध्वाला ने पूछा कि सिरमौर और जोगिंद्रनगर फार्मेसियों में कितना दवाइयों का उत्पादन होता है। राज्य सरकार का वन विभाग और आयुर्वेद विभाग कोई ऐसी नीति बनाए, जिससे लाभ हो। मंत्री बोले कि माजरा और जोगिंद्रनगर में उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं बनती हैं। जोगिंद्रनगर में 17 और माजरा में 13, राष्ट्रीय फार्मेसी पपरोला में भी बनती हैं। इस बारे में संयुक्त नीति बनाने पर विचार होगा।
मंत्री राजीव सैजल ने सदन में मजाक में कहा कि वैसे तो जो विषय आया है, उसमें शंका तथ्यों के आधार पर की गई है। जो बातें यहां रखी गई हैं, वे सुझावों के रूप में रखी गई हैं। उन्होंने ध्वाला की ओर इशारा कर कहा कि बगैर रजिस्ट्रेशन के इन्होंने नुस्खे बांटे हैं। विशेषकर उद्योग मंत्री को नुस्खे दिए हैं, उनकी भी जांच करवाई जाएगी। इससे पूर्व रमेश ध्वाला ने उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह को अपना मरीज बताते हुए उन्हें कुछ नुस्खे बताए, जिस पर सदन में खूब ठहाके लगे।