नौकरियों में एससी-एसटी को आरक्षण न देने पर हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट

शिमला। हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के नौवें दिन वीरवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ। कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने अनुसूचित जातियों और जनजातियों को नौकरियों में आरक्षण न मिलने, शोषण होने, एससी, एसटी कंपोनेंट का पैसा खर्च न होने पर सदन में चर्चा मांगी। स्पीकर ने इससे इनकार किया तो सत्ता पक्ष और विपक्ष में नोकझोंक हो गई। हंगामा बढ़ता गया तो विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते सदन से बाहर चले गए। हालांकि, वॉकआउट के बाद अंदर आ गए। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और संसदीय कार्य मंत्री ने इसे निंदनीय बताया।

विधानसभा में प्रश्नकाल 11:30 बजे विपक्ष की गैरहाजिरी में शुरू हुआ। विधायक नेगी ने कहा कि सदन में एक तिहाई विधायक एससी और एसटी वर्ग से हैं। हमारे साथ नियम-67 में चर्चा की जाए। 32 प्रतिशत प्रदेश में इस वर्ग से हैं। दलितों और आदिवासियों के बारे में सरकार चर्चा नहीं करना चाहती। सभी दलित और जनजातीय लोगों का शोषण हो रहा है। बच्चों के साथ बैठने नहीं दिया जाता। छात्रवृत्ति में घोटाला हुआ है।
एससी/एसटी कंपोनेंट में वाजिब आर्थिक मदद नहीं दी जा रही। सदन में एजेंडे नहीं लग रहे है। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री और संसदीय कार्यमंत्री विधानसभा अध्यक्ष के पास जाकर एजेंडा तैयार कर रहे हैं। इस पर अध्यक्ष विपिन परमार ने कहा कि अभी इस प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होगी, वह बैठें। इस बीच विपक्ष के सभी सदस्य खडे़ होकर हंगामा करते रहे और फिर वॉकआउट कर गए।
विपक्ष के बाहर जाने के बाद अध्यक्ष ने कहा कि जगत सिंह नेगी, मोहन लाल ब्राक्टा, नंदलाल और धनीराम शांडिल की ओर से नियम 67 के तहत एसटी को नौकरियों में आरक्षण न देने, शोषण करने, एससी/एसटी कंपोनेंट का पैसा खर्च न करने के बारे में उन्हें नोटिस मिला है। इस बारे में माकपा विधायक राकेश सिंघा से नियम 130 के तहत चर्चा के लिए भी प्रस्ताव मिला है। इन्हें सरकार को जवाब के लिए भेजा है। नेगी अपनी बातों से सनसनी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इस चेयर को संबोधित नहीं कर रहे हैं। यह गलत है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का कमरा सबके लिए खुला है।

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