डॉ. शिखा सूद ने किडनी फेलियर से जूझ रहे चंबा के विनोद को दी नई जिंदगी

\"\"

शिमला। देवभूमि हिमाचल की जनता के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिखा सूद द्वारा ऐसे मरीजों का उपचार किया जा रहा है, जिन्हें उपचार के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता था।
चंबा जिला के 23 वर्षीय विनोद व उसका परिवार आज इसलिए प्रदेश सरकार और डॉ. शिखा सूद का आभार जता रहा है कि क्योंकि उसकी एक बड़ी बीमारी का उपचार आईजीएमसी शिमला में किया गया है।

23 वर्षीय विनोद को किडनी फेलियर के चलते सप्ताह में दो बार इलाज के लिए आईजीएमसी शिमला आना पड़ता था। हर हफ्ते दो बार डायलासिस किया जाता है। इस डायलासिस के लिए पहले उसकी बाजूओं में आर्टियोवीनस फिस्चुला बनाए गए थे परंतु वे हायपर कोएग्यूलेबल स्टेट होने की वजह से बंद होे चुके थे।
अत: उसकी गले की नसों में कैथिटर डाले जा चुके थे। जहां से उसका डायलासिस किया जाता था। परंतु ये गले के कैथिटर दो बार बाहर निकल चुके थे। अत: मरीज का जीवन अब इस बात पर निर्भर था कि उसके गले में तीसरी बार कैथिटर डाला जाए ताकि वह जिंदा रह पाए और किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार कर सके जो कि उसे जीवनदान दे।

नेफ्रोलॉजी विभाग में कार्यरत डॉ. अश्वनी ने मरीज को इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट डॉ. शिखा सूद के पास परमा कैथिटर डालने के लिए रेफर किया। परंतु डॉ. शिखा सूद ने मरीज के गले का डॉप्लर किया तो पाया कि किडनी फेलियर से हायपर कोएग्यूलेबल स्टेट होने की वजह से मरीज की गर्दन की दाएं-बाएं तरफ की नसें, दोनों बाजूओं की नसें बंद पड़ी थीं तथा खून का दौरा कोलेट्रल वेन से हो रहा था। समस्या गंभीर थी। जवान मरीज की जान बचाना जरूरी थी। अत: डॉ. शिखा सूद ने जटिल आॅपरेशन करने का निर्णय लिया
दो घंटे के लंबे आॅपरेशन में मरीज पूरी तरह होश में था तथा अपना आॅपरेशन होते हुए स्वयं देख व सुन रहा था। अत्याधिक खून नसों में जम जाने के कारण यह जटिल आॅपरेशन किया गया तथा आईजीएमसी शिमला ही नहीं वरण पूरे हिमाचल प्रदेश में पहली बार किया गया।

वायर्स और कैथिटर को अत्याधिक सावधानी से दिल से गुजारते हुए, डॉ. सूद ने बड़ी ही सावधानी से दिल के पास वाली नसों में से जमे हुए खून को निकाला तथा बैलूनिंग कर सिकुड़ी पड़ी नसों को खोल डाला। अंतत: परमा कैथिटर डालकर मरीज को नवजीवन प्रदान किया। अगले दिन से पुन: डायलासिस करवाकर विनोद स्वस्थ है और किडनी ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर रहा है। डॉ. शिखा सूद ने बताया कि थोड़ी सी चूक मरीज की आॅपरेशन टेबल पर जान भी ले सकती थी क्योंकि जमा हुआ खून यदि दिल से गुजरते हुए पल्मनरी थ्रोम्बोलिज्म कर सकता था परंतु सावधानी से इस जटिल इंटरवेंशन को करते हुए उन्होंने न केवल मरीज की जान बचाई बल्कि हिमाचल में हो रही इंटरवेंशनस को एक नए दौर में भी पहुंचा दिया। इस इंटरवेंशनस का श्रेय वे अपने एम्स नई दिल्ली में कार्यरत एचओडी एवं प्रोफेसर डॉ. शिवानंदन गमनगट्टी को देती हैं, जिन्होंने उन्हें फोन पर राय दी तथा इस जटिल इंटरवेंशन को करने की सलाह दी।

यहां यह बताना आवश्यक है कि डॉ. शिखा सूद ने पिछल्ले छह माह में कोविड के रहते हुए भी अपनी जान हथेली पर रखकर कई तरह के नए-नए इंटरवेंशनस किए हैं जिससे प्रदेश के कई हजारों मरीजों को इलाज संभव हो पाया है तथा उनमें जीवन की एक नई किरण जागृत हुई है।
डॉ. शिखा सूद ने अबतक पीटीबीडी विट इंटनलाइजेशन, स्टेंटिंग, क्वॉलिंग, टीजेएलबी, पिकलाइन, पीआरपी ट्रीटमेंट जैसी कई नई इंटरवेंशनस शुरू की है, जिन्हें करवाने के लिए मरीजों को पहले पीजीआई चंडीगढ़ या एम्स नई दिल्ली जाना पड़ता था।

अपनी इंटरवेंशनस के आॅपरेशन को आगे बढ़ाते हुए अब डॉ. शिखा सूद गॉलब्लैडर के कैंसर, कोलेंजियोकार्सिनोमा, पैनक्रियाज के कैंसर जैसी बीमारियों का
बै्रकीथेरेपी से इलाज शुरू करने जा रही हैं, जो कि प्रदेश के मरीजों के लिए वरदान साबित होंगी।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *