शिमला। इंदिरा गांधी खेल परिसर में जिला स्तरीय जूडो प्रतियोगिता का आगाज हो गया है।इस जूडो प्रतियोगिता में 70 के करीब खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।बता दें कि कोरोना की वजह से काफी समय से खेल गतिविधियां बंद थी लेकिन अब धीरे धीरे सब कुछ शरू हो रहा है।इस कड़ी में शिमला जूडो एसोसिएशन की तरफ से शिमला के खेल परिसर में जूडो प्रतियोगिता करवाई जा रही है।जूडो जिला एसोसिएशन के महासचिव सुरेंदर ठाकुर ने बताया कि बीते वर्ष 21 मार्च को लॉकडाउन लग गया था जिसकी वजह से स्पोर्ट्स की किसी भी तरह के आयोजन नही हो पाए।उसके बाद जैसे ही प्रदेश सरकार ने एसओपी जारी की कि इस तरह से खेले करवाई जाएं तो हम सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए यह प्रतियोगिता करवा रहे हैं।उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता में जिला शिमला के 70 बच्चे भाग ले रहे हैं।उन्होंने बताया कि जैसे जैसे हम इस बीमारी से उभर रहे है तो खेले भी शुरू हो रही है।इस तरह की प्रतियोगिता से बच्चों का मानसिक विकास भी होता है और बच्चे शारीरिक रूप से भी मजबूत होते है।प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों का चयन राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता के लिये किया जाएगा।उन्होंने कहा कि अगले माह 11 से 15 मार्च तक हम खेल परिसर में ही राज्यस्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन करने जा रहे हैं।उन्होंने बताया आज के बच्चे नशे की तरफ जा रहे हैं इस तरह की गतिविधियों से बच्चे नशे से भी दूर रहेंगे और शारीरिक और मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे और इस तरह की प्रतियोगिताओ से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
बता दें कि जूडो डॉ कानो जिगोरो द्वारा 1882 में जापान में बनाया गया एक आधुनिक जापानी मार्शल आर्ट और लड़ाकू खेल है। इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसका प्रतिस्पर्धी तत्व है, जिसका उद्देश्य अपने प्रतिद्वंद्वी को या तो जमीन पर पटकना, गतिहीन कर देना या नहीं तो कुश्ती की चालों से अपने प्रतिद्वंद्वी को अपने वश में कर लेना, या ज्वाइंट लॉक करके अर्थात् जोड़ों को उलझाकर या गला घोंटकर या दम घोंटू तकनीकों का इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्वंद्वी को समर्पण करने के लिए मजबूर कर देना है। हाथ और पैर के प्रहार और वार के साथ-साथ हथियारों से बचाव करना जुडो का एक हिस्सा है लेकिन इनका इस्तेमाल केवल पूर्व-व्यवस्थित तरीकों में होता है क्योंकि जुडो प्रतियोगिता या मुक्त अभ्यास में इसकी इजाजत नहीं दी जाती है।