केंद्र सरकार देशभर में चार अंतराष्ट्रीय धरोहर को निजी कंपनीयो के हाथों में देने जा रही है । उनमें से हिमाचल प्रदेश का कालका शिमला हेरिटेज रेलवे लाइन भी उन में से एक है । बाकी पश्चिम बंगाल का सिलीगुड़ी-दार्जिलिंग, तमिलनाडु का नीलगिरी और महाराष्ट्र का नेरल-माथेरान ट्रैक इसमें शामिल है। बताया जा रहा है कि यह सब रेलवे लाइन करीब 100करोड़ रूपए के घाटे में चल रही है ।
जब कालका शिमला हेरिटेज लाइन को बेचने कि बात पता चली,प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कालका-शिमला रेल लाइन को बेचे जाने की खबरों पर आपत्ति जताई है।
रेल भूमि विकास प्राधिकरण ने इन चारों माउंटेन नैरोगेज ट्रैक पर सर्वेक्षण शुरू करवाया है।दिल्ली की एक कंसल्टेंसी कंपनी सर्वेक्षण करेगी, जिसे मार्च तक पूरा किया जा सकता है. उसके बाद इन ट्रैक को निजी हाथों में सौंपा जाएगा।
वर्ष 1903 में शुरू हुए कालका-शिमला रेलवे ट्रैक को अब 118 वर्ष पूरे हो चुके हैं. अंग्रेजों हुकूमत ने इसे बनवाया था और यूनेस्को ने इस रेलवे ट्रैक को आठ जुलाई 2008 को विश्व धरोहर का दर्जा दिया था. इस मार्ग पर 103 सुरंगें, 300 के करीब छोटे बड़े आकर्षक पुल, अंग्रेजों के समय के बनाए गए 22 रेलवे स्टेशन हैं. शिमला के लिए यह इकलौती रेललाइन है. जो कालका से शुरू होते हुए सोलन से गुजर कर शिमला पहुंचती है.