अब किसी भी मजबूर राहगीर की जान नहीं लेगा रोहतांग दर्रा


शिमला । अटल टनल का निर्माण होने से लाहुल घाटी सहित जिला चंबा की किलाड़ घाटी को भी राहत मिली है। इन क्षेत्रों की हजारों की आबादी को अटल टनल ने बर्फ की कैद से मुक्ति दिलाई है। अटल टनल का निर्माण होने से मनाली केलंग की दूरी 46 किमी कम हुई है, साथ ही अब मनाली से केलंग का सफर भी ढाई घंटे का रह गया है। टनल बनने से राहगीरों की तो राहत मिली ही है। साथ ही केलंग व लेह जाने वाले पर्यटकों को भी सुहाना सफर मिलने जा रहा है। लाहुल को कुल्लू से जोडऩे वाला रोहतांग दर्रा अब किसी भी मजबूर राहगीर की जान नहीं लेगा। बर्फ का पहाड़ लांघते अब किसी की सांसें ठंडी नहीं होंगी। अटल टनल के बनने से सबसे अधिक राहत रोहतांग दर्रे के राहगीरों को ही मिलेगी। अक्टूबर शुरू होते ही लाहुल के लोगों को यह रोहतांग दर्रा चिंतित करना शुरू कर देता था। आसमान छाते ही लाहुली दशहरा उत्सव की खुशियां बीच में छोड़कर घर भागने को मजबूर हो जाते थे। हालांकि पैदल राहगीरों की सुरक्षा के लिए लाहुल स्पीति प्रशासन हर साल 15 मार्च व 15 नवंबर को रेस्क्यू पोस्ट भी स्थापित करता है। लेकिन अचानक होने वाली बर्फबारी व बर्फीला तूफान हर साल किसी न किसी राहगीर की जान ले ही लेता था। कई बार अचानक बर्फबारी होने से पर्यटकों पर भी भारी पड़ती रही है। लेकिन रोहतांग दर्रे को राहगीर हर बार जान जोखिम में डालकर पार करते रहे। रोहतांग दर्रे पर बड़े हादसे हो चुके हैं जिनमे 20 नवंबर 2009 को रोहतांग दर्रे में अचानक आए तूफान से बीआरओ के 16 मजदूर मारे गए थे। इसके अलावा 30 मई 2012 को ट्रैकिंग करते हुए लुधियाना के पर्यटक की मौत और 23 मई 2014 को रोहतांग में अचानक बर्फबारी से 194 पर्यटक फंस गए थे। 13 दिसंबर 2014 को अचानक हुई भारी बर्फबारी से रोहतांग दर्रे में 2500 पर्यटक फंस गए थे। इस मार्ग पर भारी बर्फबारी के कारण 4 नवंबर 2015 को अचानक हुई बर्फबारी से 200 पर्यटक फंस गए थे।

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