शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में वीरवार से सफाई व्यवस्था ठप हो सकती है। नगर निगम शिमला में घरों से कूड़ा एकत्र कर रही सैहब सोसासटी के कर्मचारियों ने बुधवार को बैठक कर फैसला लिया कि वीरवार को सामूहिक त्यागपत्र दे देंगे। इनका आरोप है कि नगर निगम के अधिकारी बैठक में कर्मचारियों को बुलाकर डरा रहे हैं। शहर की जनता के घरों से पैसा एकत्र करने का दबाव बनाया जा रहा है। जबरन कर्मचारियों को रसीद बुक दी जा रही है। कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं तो उन्हें डराया जा रहा है। आरोप है कि नौकरी से निकालने की बात कही जा रही है। इसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।इसको लेकर सैहब सोसायटी की यूनियन ने नगर निगम के आयुक्त आशीष कोहली और राज्य के मुख्य न्यायाधीश को भी पत्र भेजा है। कर्मचारियों का आरोप है कि वे पैसे जुटाने को तैयार हैं, लेकिन निगम बिल तो तैयार करके दे। यदि निगम बिल तैयार करके नहीं देता है तो कैसे लोगों से पैसा लिया जा सकता है।यूनियन के अध्यक्ष जसवंत ने आरोप लगाया कि बुधवार की सुबह 10 वार्डो के सुपरवाइजरों के साथ बैठक थी, इस दौरान अधिकारियों ने आयुक्त की मौजूदगी में ही दबाव बनाने का प्रयास किया। इस दौरान कर्मचारियों को अपशब्द कहे और नौकरी से निकालने तक की धमकी दी।
यूनियन ने आरोप लगाया कि शहर में कोरोना के दौर में भी सैहब कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैं। निगम प्रशासन कर्मचारियों को सुविधाएं तक देने में नाकाम रहा है। एक कर्मचारी की मौत के बाद ही कुछ सामान मुहैया करवाया गया। कर्मचारी अपनी जान को जोखिम में डाल कर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि कूड़े के बिल आनलाइन जमा करवाने की व्यवस्था है, इसके बावजूद कर्मचारियों को परेशान करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। हालांकि आनलाइन बिल लिए जाएं तो आय जुटाई जा सकती है। आनलाइन व्यवस्था पूरे देश में शुरू की जा रही है, लेकिन नगर निगम कर्मचारियों को लोगों के घरों में जाकर पैसे जुटाने का दबाव बना रही है। इसके विरोध में यूनियन ने वीरवार से काम पर न आने और सामूहिक त्यागपत्र देने का फैसला लिया है। मेयर पर भी लगाया बकाया न देने का आरोप
यूनियन के अध्यक्ष ने शहर की मेयर सत्या कौंडल पर भी बकाया राशि न देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एक लाख से ज्यादा राशि तो मेयर पर ही बकाया है। उनसे रिकवरी तो निगम को खुद करनी चाहिए। हालांकि इस मसले पर मेयर सत्या कौंडल ने कहा कि गारबेज की फीस के लिए किरायेदार व मकान मालिकों के अलग-अलग आइडी बने हैं। निगम को किरायेदारों से इसकी वसूली करनी चाहिए। इस बारे में पहले ही अधिकारियों को बिजली व पानी काटने तक की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जहां तक रही आरोपों की बात, इस बारे में कानूनी कार्रवाई आरोप लगाने वालों के खिलाफ करूंगी।