शिमला। प्रदेश सरकार भले ही हर घर को नल से जल देने का दावा कर रही हो, लेकिन घरातल पर तस्वीर जल शक्ति विभाग की कार्यप्रणाली की पोल खोल रही है। सरकार ने हर घर को नल से जल के लक्ष्य को 15 अगस्त 2022 को पूरा करने का भी दावा किया है, अगर ऐसा होता है तो हिमाचल के सिर पर देश भर में सौ फीसदी लक्ष्य पूरा करने ताज सज सकता है, लेकिन वर्तमान में स्थिति है कि करसोग में बहुत से ऐसे गांव हैं, जिनके घर में नल तो लगे हैं पर सालों से जल की बूंद नहीं टपकी है। दो सालों से ग्रामीण बारिश का पानी स्टोर करके पीने के लिए मजबूर है। यहां उपमंडल की ग्राम पंचायत थाच थर्मी तीन गांव रशोग कमांद धमजोग में लोग हैंडपंप से पीने का पानी लाने के लिए मजबूर है। यही नही बहुत से लोग तो बारिश के पानी को स्टोर करके पीने के लिए विवश है। लोगों का कहना है कि दोफा बेलु स्कीम पर रसोग में जो भंडारण टैंक बनाया गया है। वो देखरेख के अभाव में जर्जर हालत में है। जिस कारण रिसाव की वजह से टैंक में पानी स्टोर नहीं हो रहा है। ऐसे में तीन गांवों के लिए बिछाई गई लाइनें शो पीस बनकर रह गई है। इस तरह बिलों का भुगतान करने के बाद भी ग्रामीणों को जल शक्ति विभाग की पेयजल योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। हालांकि इस समस्या को कई बार विभाग के अधिकारियों के ध्यान में लाया गया हैं। इसके अतिरिक्त सीएम हेल्पलाइन के 1100 नंबर पर बहुत बार शिकायत दर्ज करवाई जा चुकी है, लेकिन लोगों की समस्या का किसी भी स्तर पर समाधान नहीं हुआ है। ऐसे में जल शक्ति विभाग की इस लापरवाही के खिलाफ लोगों में भारी रोष है। हालांकि सरकार करसोग क्षेत्र के लिए विभिन्न पेयजल योजनाओं के 150 करोड़ के कार्य चलने का भी दावा कर रही है, जिसमें अकेले जल जीवन मिशन के तहत ही 80 करोड़ खर्च किए जाने की भी बात कही जा रही है। ऐसे में विभाग की लापरवाही से पेयजल समस्या का समाधान न होने से लोगों के बीच में सरकार की छवि भी खराब हो रही है।
रशोग गांव के लोभ सिंह का कहना है कि रशोग में जिस टैंक से तीन गांव के लिए पानी की लाइन बिछाई गई। इस टैंक की हालत बहुत जर्जर हो चुकी है। इसमें दो सालों से पानी नहीं टिक रहा है। ऐसे लोग बारिश का पानी स्टोर करके पीने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत जल शक्ति विभाग के अधिकारियों से लेकर सीएम हेल्पलाइन लाइन के 1100 नंबर पर कई बार की जा चुकी है, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है।
जल शक्ति विभाग करसोग डिवीजन के अधिशाषी अभियंता प्रदीप चड्डा का कहना है कि मामला ध्यान में आया है। इस बारे में संबंधित क्षेत्र के एसडीओ से रिपोर्ट मांगी गई है।