करसोग। पहाड़ी प्रदेश के छह बार रहे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह बेशक देह से स्मृति हो गए हैं, लेकिन आधुनिक हिमाचल निर्माण में उनके बहुमूल्य योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। छह दशक तक राजनीति के राजा रहे वीरभद्र सिंह ने ऐसा ही सपना करसोग के विकास के लिए देखा था। उपमंडल की जनता को एक ही छत के नीचे सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हो और यहां के गरीब किसान और मजदूर के बच्चों को घरद्वार पर तकनीकी शिक्षा प्राप्त हो, इसके लिए वीरभद्र सिंह ने करसोग में मिनी सचिवालय के निर्माण और पॉलीटेक्निकल कॉलेज का सपना देखा था। इस सपने को साकार करने के लिए वीरभद्र सिंह ने 1 मई 2015 को करसोग के पुराना बाजार में मिनी सचिवालय की आधारशिला भी रखी थी। इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री ने वर्ष 2017 में लोगों की सुविधा के लिए पॉलीटेक्निकल कॉलेज खोलने की भी घोषणा की, जिसकी साथ ही में अधिसूचना जारी कर पॉलीटेक्निकल कॉलेज के लिए फंड की भी व्यवस्था की गई थी, लेकिन प्रदेश में दिसम्बर 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने राज्य की बागडोर संभालते ही पॉलीटेक्निकल कॉलेज की अधिसूचना को रद्द कर दिया। ऐसे में भाजपा की जयराम सरकार को भी अब सत्ता में आए चार साल का समय होने जा रहा है, लेकिन करसोग में मिनी सचिवालय और पॉलीटेक्निकल कॉलेज का सपना साकार होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। शनिवार को हजारों की संख्या में जनता अनन्त सफर पर निकले वीरभद्र सिंह की अस्थियों का सतलुज नदी में विसर्जन करेगी। इस मौके पर सतलुज नदी के घाट पर तीन विधानसभा क्षेत्रों करसोग, शिमला ग्रामीण व शिमला शहरी की जनता अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि देगी, लेकिन करसोग की प्रगति के लिए वीरभद्र सिंह ने मिनी सचिवालय व पॉलीटेक्निकल कॉलेज का जो सपना देखा था, इसके अधूरे रहना की पीड़ा हमेशा जनता के दिलों में रहेगी।
जिला कांग्रेस कार्यकारिणी सदस्य मंडी एवं आरजीपीआरएस के राज्य महासचिव भगतराम व्यास का कहना है कि शनिवार सुबह वीरभद्र सिंह की अस्थियों का सतलुज नदी में विसर्जन किया जाएगा। उन्होंने कहा खेद का विषय है कि वीरभद्र सिंह ने करसोग में जो मिनी सचिवालय व पॉलीटेक्निकल कॉलेज का जो सपना देखा था, वह अधूरा रह गया है। करसोग की जनता को हमेशा इस बात का दुख रहेगा।