शिमला। नागालैंड व मणिपुर के पूर्व राज्यपाल तथा वर्ष 1973 बैच के सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी डॉ. अश्विनी कुमार ने बुधवार को शिमला के ब्राकहास्ट स्थित अपने आवास में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस सूत्रों के अनुसार उनका शव उनके आवास पर फंदे से लटका पाया गया। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक मोहित चावला के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम तुरंत मौके पर पहुंची तथा घटना की छानबीन शुरू कर दी। घटना स्थल पर एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें लिखा गया है कि मैं जिंदगी से तंग आकर अगली यात्रा पर निकल रहा हूं।
सिरमौर जिला में जन्में अश्विनी कुमार सीनियर आईपीएस अफसर थे । उनकी आत्महत्या की खबर मिलते ही डीजीपी हिमाचल प्रदेश संजय कुंडू औप शिमला के एसपी मोहित चावला टीम के साथ मौके पर पहुंचे। अश्विनी कुमार ने अपने अपने प्रोफेशनल जीवन में सफलता के कई आयाम हासिल किए। 70 वर्षीय अश्विनी कुमार का जन्म सिरमौर के जिला मुख्यालय नाहन में हुआ था । वह 1973 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। 2006 से लेकर 2008 तक हिमाचल के डीजीपी रहे। इसके साथ ही सीबीआई व एसपीजी में विभिन्न पदों पर रहे. अगस्त 2008 से नवंबर 2010 के बीच वह सीबीआई के निदेशक रहे। राजीव गांधी की सुरक्षा में भी अश्विनी कुमार तैनात थे। मार्च 2013 में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। रिटायरमेंट के बाद वे नागालैंड के राज्यपाल बनाए गए तो काफी विवाद भी हुआ था। हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद वह शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के वीसी भी रहे।