पेंशर्नज वेलफेयर संघ ने सरकार से संयुक्त सलाहकार समिति का गठन करने की उठाई मांग

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शिमला।  हिमाचल प्रदेश पेंशर्नज वेलफेयर संघ ने प्रदेश सरकार से पेंशर्नज की संयुक्त सलाहकार समिति का गठन करने की मांग की हैं। संघ के महासचिव सुभाष वर्मा ने कहा है कि पैंशनर्ज दिवस के उपलक्ष्य पर लगभग 15000 पैंशनर्ज को मुख्यमंत्री ने जल्द ही संयुक्त सलाहकार समिति के गठन की घोषणा की थी, लेकिन आज करीब तीन साल बितने जाने के बावजूद कोई पहल नहंी हुई है और बुजुर्ग पैंशनर्ज से एक छलावा ही किया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की जे.सी.सी गठन की पहल के लिए सराहना की है , लेकिन पैंशनर्ज ने अफसोस भी जाहिर किया कि बुजुर्गों की अनदेखी की गई है। जैसे कि पहले तो पैंशनर्ज की जे.सी.सी का गठन किया जाना चाहिए था । संघ शिमला शहरी इकाई के प्रधान आत्मा राम शर्मा, उप प्रधान जीवन ठाकुर और महासचिव सुभाष वर्मा ने संयुक्त ब्यान में कहा कि वर्तमान में लगभग पौने दो लाख पैंशनर्ज प्रदेश के लगभग प्रत्येक परिवार से जुड़े हुए है। ऐसे में मुख्यमंत्री से दोबारा आह्वान किया कि पैंशनर्ज की जे.सी.सी का तुरंत गठन कर उनकी समस्याओं को सुना जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो पेंशन वेलफेयर संघ एच.आर वशिष्ठ की अध्यक्षता में निर्वाचित होकर कार्यरत है उनके साथ प्रदेश का लगभग 85 प्रतिशत पैंशनर जुड़ा है। इसलिए पैंशनर्ज संघ को तुरंत जे.सी.सी की कार्यकारिणी के गठन के लिए तुरंत बुलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय-समय पर जो पैंशनर्ज की जे.सी.सी हुई है वह भी इसी संघ के साथ हुई है और यह संघ पंजीकृत तो है ही लेकिन प्रदेश सरकार से जे.सी.सी करने पर मान्यता भी मिली है। उन्होंने कहा कि पैंशनर्ज के इस आक्रोश का प्रतिबिम्भ वर्तमान कर्मचारियों को भी ठेस पहुंचाएगा, जबकि प्रदेश का पैंशनर्ज संदैव वर्तमान सरकार के साथ साकारात्मक सोच के साथ सहयोग करता रहा है। सुभाष ने कहा कि वर्तमान में लगभग पौंने दो लाख पेंशनर्ज प्रदेश के लगभग प्रत्येक परिवार से जुड़े हुए है। यह एक मोतियों के हार के समान है। उन्होंने अंदेशा जताया कि अगर यह बिखर गया तो स्वभाविक है कि वर्तमान सरकार को नुकसान होगा। पेंशनर्ज के इस आक्रोश का प्रतिबिम्ब  वर्तमान कर्मचारियों को भी ठेस पहुंचाएगा, जबकि प्रदेश का पेंशनर्ज सदैव वर्तमान सरकार के साथ साकारात्मक सोच के साथ सहयोग करता रहा है। इसलिए बुजुर्ग पेंशनर्ज के आर्शिवाद की दुआवों को दर किनार करके अनदेखी न की जाए।

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