शिमला। हिमाचल प्रदेश को स्वास्थ्य सुविधाओं में अग्रणी बनाने की दिशा में राज्य सरकार उत्कृष्ट कार्य कर रही है जिसे भारत सरकार ने भी समय-समय पर सराहा है। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुसार वर्ष 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में राज्य से एड्स का उन्मूलन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
थ्री जीरो यानी जीरो संक्रमण, जीरो मौत और जीरो भेदभाव के लक्ष्य को लेकर सरकार ने एड्स के खिलाफ एक निर्णायक मुहिम की शुरुआत की है। प्रदेश को एड्स मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार के ऐतिहासिक कदम जैसे ‘जाँच और उपचार’ और ‘मिशन सम्पर्क’ बहुत महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। एचआईवी जाँच इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलु है। एचआईवी पाॅजिटिव व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें एंटीरेट्रो वायरल थेरेपी से जोड़ना इस दिशा में सबसे पहला कदम है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रदेश में हर वर्ष लगभग तीन लाख एचआईवी जाँच की जा रही हैं। प्रदेश में 45 एकीकृत जाँच एवं परामर्श केंद्रों (आईसीटीसी) के अतिरिक्त दो मोबाइल आईसीटीसी के माध्यम से भी एचआईवी जाँच सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रदेशवासियों को घर-द्वार पर जाँच सुविधाएं प्रदान करने के लिए उप-स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक जाँच सुविधा उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों में एचआईवी संक्रमण को समाप्त करने के लिए माता-पिता से बच्चों में एचआईवी संक्रमण के संचारण की रोकथाम (पीपीटीसीटी) कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके तहत गर्भवती महिला की एचआईवी जाँच की जाती है और महिला के एचआईवी संक्रमित होने पर उसके शिशु में एचआईवी संक्रमण के संचारण की रोकथाम की प्रक्रिया अपनाई जाती है। हर वर्ष प्रदेश में लगभग एक लाख गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जाँच की जा रही है।
सरकार द्वारा एचआईवी के साथ जीवन जी रहे व्यक्तियों को एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) उपलब्ध करवाने के लिए राज्य में तीन एआरटी और तीन एफआई-एआरटी केंद्र स्थापित किए गए हैं जिनमें 4646 व्यक्तियों का इस थेरेपी से उपचार किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार एचआईवी के साथ जी रहे व्यक्तियों और उनके आश्रितों के प्रति भी संवेदनशील है। सरकार ने वर्ष 2019 में इन व्यक्तिों को 1500 रूपये प्रति माह देने का प्रावधान किया। एआरटी से उपचार करवा रहे हिमाचलवासियों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, एचआईवी के साथ जीवन जी रहे बच्चों के लिए वर्ष 2018 से पोषाहार सहायता योजना आरम्भ की गई है जिसके तहत इन्हें प्रतिदिन 100 ग्राम ओट/मलटी-ग्रेन बिस्कट दिए जाते हैं। वर्ष 2019 में प्रदेश सरकार द्वारा एचआईवी के साथ जीवन जी रहे व्यक्तियों के लिए अन्य रोगों के उपचार और दवाइयों के लिए भी प्रति वर्ष 20 लाख रूपये देने का प्रावधान किया गया है।
इन योजनाओं के अतिरिक्त, सरकार द्वारा एचआईवी ग्रसित 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों को शिक्षा व अन्य जीवन यापन संबंधी आवश्यकताओं के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। एचआईवी के साथ जी रहे व्यक्तियों को एआरटी केंद्रों तक आने-जाने के लिए मुफ्त सरकारी बस पास का भी प्रावधान किया गया है।
सरकार ने एचआईवी/एड्स की रोकथाम के लिए रेडियो, टीवी, समाचार पत्रों, होर्डिंग, लोक नाट्î, मेलों में जागरूकता गतिविधियों व अन्य माध्यमों से लोगों को जागरूक करने के लिए सघन अभियान चला रखे हैं। अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय युवा दिवस, विश्व एड्स दिवस और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। किसी भी प्रकार की सहायता व परामर्श के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 1097 टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर स्थापित किया गया है।
प्रदेश सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए डिजिटल मीडिया माध्यमों जैसे- फेसबुक, ट्विटर और अपनी वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध करवाने की दिशा में उत्कृष्ट कार्य कर रही है। एचआईवी रोकथाम व सुविधाओं संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी युवाओं तक पहुंचाने के उद्देश्य से नाको एड्स ऐप्प गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। प्रदेश सरकार के मानवीय दृष्टिकोण के परिणामस्वरूम एचआईवी के साथ जीवन जी रहे व्यक्तियों व उनके आश्रितों के लिए विभिन्न योजनाओं द्वारा इन्हें एआरटी से जोड़ने, मुख्यधारा में लाने और इनके साथ हो रहे भेदभाव को समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए हैं।
यद्यपि हिमाचल प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में एचआईवी के मामले कम हैं लेकिन प्रदेश सरकार ने एचआईवी पर विजय प्राप्त करने के लिए एचआईवी जाँच, एंटी रेट्रोवायरल थेरपी, कल्याणकारी योजनाओं के समायोजन एवं जागरूकता अभियानों द्वारा अपना दृढ़संकल्प दर्शाया है। सरकार और आम जनता के प्रयासों से वर्ष 2030 तक एड्स का उन्मूलन संभावित है, जिससे एड्स मुक्त-स्वस्थ हिमाचल प्रदेश के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।