धर्मशाला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने रविवार को कांगड़ा जिला के धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश गद्दी कल्याण बोर्ड की 18वीं बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पुलिस विभाग को गद्दी समुदाय की भेड़ों और बकरियों की चोरी रोकने तथा अपराधियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस ने इस विषय पर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जिसके अनुसार समुदाय के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी तय की गई है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि गद्दी कल्याण बोर्ड में गद्दी समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के हर क्षेत्र से गद्दी समुदाय के सदस्यों को मनोनीत किया है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं ग्रामीण परिवेश से सम्बन्ध रखते हैं और भेड़पालकों की समस्याओं से भलीभांति परिचित हैं। उनका गद्दी समुदाय से विशेष लगाव है और उन्हें भी इस समुदाय का विशेष प्रेम और सम्मान मिला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं और महामारी के कारण गद्दी समुदाय को उनकी भेड़ तथा बकरियों के नुकसान का मुआवजा अविलम्ब मुहैया करवाया जाना चाहिए। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को गद्दी समुदाय की भेड़ और बकरियों का समय पर टीकाकरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए ताकि उनके झुंड को विभिन्न गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को बैठक में उठाए गए जनजातीय एवं दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शैक्षणिक संस्थान खोलने और स्तरोन्नत करने सम्बन्धी मुद्दों की अलग से निगरानी करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने सम्बन्धित विभागों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि उनके द्वारा जारी किए गए चराई परमिट किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित न किये जाएं। इस प्रकार के मामलों को गंभीरता से लिया जाएगा।
जय राम ठाकुर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कारण ही वर्ष 2003 में गद्दी समुदाय को यह विशेष जनजातीय का दर्जा दिया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी गद्दी समुदाय को पहले की तरह जनजातीय का दर्जा मिला है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1966 के बाद पंजाब से विलय होने वाले क्षेत्रों के गद्दी समुदाय को जनजातीय का दर्जा नहीं मिला। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जनजातीय क्षेत्र के लोगों को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग में पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करने पर विचार करेगी ताकि अनुसूचित जनजाति की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि गैर-जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय लोगों के लिए बजट का पर्याप्त प्रावधान करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा गैर-जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय लोगों के विकास के लिए पिछले तीन वर्षों के दौरान 46 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त करने में सफलता मिली है। पिछली सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान केवल 33 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए थे। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान हिमाचल प्रदेश हस्तशिल्प और हथकरघा निगम को 2.40 करोड़ रुपये प्रदान किए गए। उन्होंने गद्दी समुदाय का विकास और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विभागों को योजनाएं बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग गद्दी समुदाय को नवीनतम वैज्ञानिक तकनीक उपलब्ध करवाकर उनकी आय में वृद्धि सुनिश्चित करें।
इस अवसर पर सूचना प्रौद्योगिकी, तकनीकी शिक्षा एवं जनजातीय विकास मंत्री डाॅ. राम लाल मारकंडा ने मुख्यमंत्री एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के कारण बोर्ड की बैठक लंबे समय से लम्बित थी।
बैठक में विधायक बिक्रम सिंह जरयाल और जिया लाल कपूर और अन्य गैर सरकारी सदस्यों ने भी अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
वूलफेड के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन को सुदृढ़ किया है। पिछले तीन वर्षों के दौरान फेडरेशन को 136.94 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री
से आग्रह किया कि गैर जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय लोगों के विकास के लिए बजट में तीन प्रतिशत का अलग से प्रावधान किया जाए।
प्रधान सचिव जनजातीय विकास ओंकार शर्मा ने मुख्यमंत्री, मंत्री, गैर-सरकारी सदस्यों और अन्य व्यक्तियों का बैठक में भाग लेने के लिए अपना बहुमूल्य समय प्रदान करने और सुझाव देने के लिए आभार व्यक्त किया।
विशेष सचिव जनजातीय विकास सी.पी. वर्मा ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया।
धर्मशाला के विधायक विशाल नेहरिया, मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार त्रिलोक जम्वाल, मुख्य सचिव राम सुभग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।