खील स्कूल में सात कक्षाओं के लिए चार ही कमरें, बारिश में छुट्टी कर घर भेजे जा रहे हैं स्टूडेंट

कोरोना महामारी में दो साल बाद खुले स्कूल, कमरे न होने से अब खुले आसमान के नीचे धूल भरे मैदान में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं छात्र

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करसोग। प्रदेश में भले ही घरद्वार पर शिक्षा देने के लिए स्कूलों को अपग्रेड करने के बड़े बड़े दावे किए जा रहे हो, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि दर्जा बढ़ाने के बाद सरकार छात्रों के बैठने के लिए भवन का निर्माण करना ही भूल जाती है। इस तरह शिक्षा के मंदिरों में पढ़ाई के नाम पर खुले आम छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला करसोग में ऐसी ही राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील है। जहां 16 वषों में दो बार स्कूल का दर्जा बढ़ाने के बाद भी अभी तक भवन का निर्माण नहीं हुआ है। शिमला-करसोग मुख्य मार्ग पर तहसील मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील में 7 कक्षाओं को चलाने के लिए केवल 4 कमरें हैं। ऐसे में कोरोना काल में दो साल बाद खुले स्कूल में पर्याप्त कमरे न होने से छात्र खुले आसमान के नीचे धूल भरे मैदान में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है। हालत ये है कि सर्दियों में इन दिनों में मौसम खराब होने की वजह से बच्चों को छुट्टी कर घर भेजा जा रहे हैं या फिर स्कूल के बरामदें में खड़ा होकर छात्रों को बारिश रुकने का इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में छात्र ठंड से ठिठुर रहे हैं। बच्चों की परेशानी को देखते हुए अभिभावक कई सालों से भवन निर्माण की गुहार लगा रहे हैं, जिसके लिए शिक्षा विभाग के पास करीब 7 बीघा भूमि भी उपलब्ध है, लेकिन लोगों की आवाज अफ़सरशाही के कानों तक नहीं पहुंच रही है। ऐसे में स्थानीय जनता में सरकार के प्रति भारी रोष है। बता दें कि सरकार ने वर्ष 2006 में माध्यमिक पाठशाला खील का दर्जा बढ़ाकर हाई स्कूल किया था। इसके बाद फिर से वर्ष 2014 में स्कूल को बारवीं तक किया गया, लेकिन दो बार दर्जा बढ़ाने पर भी 16 सालों में छात्रों को छत नसीब नहीं हो पाई है। स्कूल में नौवीं से बारहवीं तक विद्यार्थियों की संख्या 149 है, जबकि छठी से आठवीं तक 70 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

एसएमसी प्रधान इंद्र कुमार का कहना है कि भवन न होने से बच्चों को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। कमरें ने होने से कक्षाएं खुले में लगानी पड़ रही हैं। मौसम अधिक खराब होने पर छात्रों को छुट्टी देकर घर भेजा जाता है। इस तरह से बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है।

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील के कार्यकारी प्रधानाचार्य राजेंद्र कुमार का कहना है कि स्कूल में सिर्फ चार ही कमरें उपलब्ध हैं। अभी प्लस वन और टू की कक्षाएं प्राइमरी स्कूल के कैंपस में चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अभी तो कोविड 19 की वजह से स्कूल बंद थे तो कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन अब स्कूल खुलने के बाद बरामदे में छात्रों को बिठाने की व्यवस्था की गई है। बारिश में पंचायत भवन के सामुदायिक भवन में भी कक्षाएं चलाई जा रही है। वैसे खुले में कक्षाएं लगानी पड़ती है।

लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता अरविंद कुमार भारद्वाज का कहना है कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील में भवन का निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाएगा। इसके लिए टेंडर लगा दिया हैं।

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