शिमला। आर. के. सिंह, केंद्रीय विद्युत मंत्री तथा एनआरई मंत्री ने सीबीआईपी के सहयोग से एसजेवीएन द्वारा आयोजित प्रथम लहर (लार्ज हाइड्रो एक्टिव रीच आउट) कॉन्क्लेव का शुभारंभ किया। आलोक कुमार, सचिव (विद्युत), भारत सरकार ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कॉन्क्लेव की गरिमा बढ़ाई। कॉन्क्लेव में विद्युत मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों, केंद्रीय जलविद्युत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के सीएमडी और निदेशकों के अतिरिक्त राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के विख्यात जलविद्युत विशेषज्ञों ने भाग लिया।
नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन एवं अध्यक्ष, लहर ने अपने स्वागत भाषण में गणमान्य व्यक्तियों को अवगत कराया कि गैर-जीवाश्म ईंधन से 50% ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 500 गीगावॉट के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुसार जलविद्युत का दोहन इस विशाल लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अत्यधिक महत्वाकांक्षी है। ग्रिड स्थिरता को सक्षम करने के अतिरिक्त, जलविद्युत गत कई दशकों से शांतिपूर्वक राष्ट्र की विकास गाथा में योगदान दे रहा है। श्री शर्मा ने बताया कि, इस क्षेत्र के समक्ष आ रही चुनौतियों की दृष्टि से समस्त स्टेकहोल्डर द्वारा सुदृढ़ और सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है। एसजेवीएन ने प्रथम लहर कॉन्क्लेव आयोजित करने का नेतृत्व किया है, जहां चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए सभी केंद्रीय जलविद्युत के पीएसयू जलविद्युत क्षेत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियां एवं अग्रिम अन्वेषण के गहन विचार-विमर्श हेतु एकत्रित हुए।
इस अवसर पर आर.के. सिंह, माननीय केंद्रीय विद्युत एवं एनआरई मंत्री ने कहा कि जलविद्युत प्लानेट के लिए ईश्वर का उपहार है और अनादिकाल से सभ्यताओं द्वारा उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सभी विकसित देशों ने अपने ईर्द-गिर्द उपलब्ध संभावित समस्त जल विद्युत क्षमता का दोहन किया है। अनुभव बताते हैं कि जल विद्युत के विकास का जल तथा हरियाली के मामले में क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अधिकांश जनसमुदाय जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के सकारात्मक प्रभावों की सराहना करता है। कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने के लिए नए प्रतिमान में जलविद्युत का विकास सबसे आवश्यक है और लहर की पहल निश्चित रूप से इन प्रयासों के लिए दीर्घ मार्ग तय करेगी। उन्होंने आगे अपने संकल्प की पुष्टि की कि इन सकारात्मक प्रभावों के बारे में सभी स्टेकहोल्डरों को जागरूक बनाने के लिए अत्याधिक सशक्त प्रयासों की आवश्यकता है।
जबकि आलोक कुमार, सचिव (विद्युत), भारत सरकार ने एसजेवीएन को लहर कॉन्क्लेव आयोजित करने और जलविद्युत क्षेत्र में विचारों और सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के आदान-प्रदान करने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि जलविद्युत मानव जाति के लिए ऊर्जा का स्वच्छ और पुरातन रूप है। उन्होंने आगे सभी हाइड्रो पावर डेवलपर्स, विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को, शेष बची हुई संभाव्य क्षमता को विकसित करने में वाणिज्यिक उन्मुखीकरण सहित लागत के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी। प्रभावित लोगों को जलविद्युत के सकारात्मक पहलुओं के बारे में जानकारी देने की आवश्यकता है।
वर्ष 2030 तक भारत के पंचामृत लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जल विद्युत का दोहन आवश्यक है। आर.के. सिंह, केंद्रीय विद्युत मंत्री, भारत सरकार ने क्षेत्र के सामाजिक आर्थिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव के अलावा जल विद्युत परियोजनाओं के संलाभों को जनता के मध्य प्रसारित करने के उद्देश्य से लार्ज हाइड्रो एक्टिव रीच आउट (लहर) समिति का गठन किया है। श्री नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन लहर समिति के अध्यक्ष हैं, जिसमें अन्य जलविद्युत पीएसयू के प्रमुख शामिल हैं।
एसजेवीएन लिमिटेड ने सीबीआईपी के सहयोग से लहर (एसजेवीएन, नीपको, बीबीएमबी, टीएचडीसी, एनएचपीसी एवं डीवीसी) के सदस्यों की ओर से \’हार्नेसिंग ऑफ हाइड्रोपावर पोटेंशियल- ए वे फॉरवर्ड\’ पर एक दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन किया। कॉन्क्लेव का उद्देश्य स्पष्ट रूप से चुनौतियों की पहचान करना और जलविद्युत परियोजनाओं को तीव्रता से और समय पूर्व पूरा करने के अवसर को तलाशना और सभी स्टेकहोल्डरों के साथ चर्चा आरंभ करने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
कॉन्क्लेव के दौरान, वन मंजूरी एवं भूमि अधिग्रहण सहित जल विद्युत परियोजनाओं के समक्ष आने वाली विभिन्न समस्याओं पर जल विद्युत क्षेत्र के पदाधिकारियों एवं विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न प्रस्तुतियां दी गईं। जल विद्युत परियोजनाओं के विकास के दौरान समक्ष की जाने वाली चुनौतियों और उनके शमनार्थ उपायों पर भी विचार-विमर्श किया गया।