मुख्यमंत्री ने फसलों के उत्पादन में वृद्धि के लिए तरल बोरोनेटिड कैल्शियम नाइट्रेट उर्वरक का शुभारम्भ किया

 

शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां आत्मनिर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत हिमफैड और गुजरात स्टेट फर्टीलाईजर्स एण्ड कैमिकल्ज लिमिटेड (जीएसएफसी) के संयुक्त उपक्रम के तहत घरेलू तरल बोरोनेटिड कैल्शियम नाइट्रेट उर्वरक का शुभारम्भ किया। जीएसएफसी ने हिमाचल प्रदेश में राज्य के किसानों और बागवानों की सुविधा के लिए तरल बोरोनेटिड कैल्शियम नाइट्रेट, न्यूट्री प्लस, अमोनियम सल्फेट और बोरोनेटिड कैल्शियम आदि पांच उत्पादों का उत्पादन आरम्भ किया है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने तरल बोरोनेटिड कैल्शियम नाइट्रेट उर्वरक का देश में उत्पादन करने के लिए जीएसएफसी को बधाई दी। इससे पूर्व इस उर्वरक को दूसरे देशों से आयात किया जाता था। उन्होंने कहा कि तरल उर्वरक का यह नया प्रयोग है, जो किसानों के लिए सहायक सिद्ध होगा क्योंकि इस उर्वरक का निर्माण देश के विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकता के अनुसार किया जाएगा।

जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने और विभिन्न उत्पादों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता कम करने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया है। प्रधानमंत्री ने किसानों को सशक्त करने के लिए विभिन्न नई योजनाएं आरम्भ की हैं और वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कड़े प्रयास किए जा रहे हंै। उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने पूरे विश्व की आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया है परन्तु यह सन्तोष की बात है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्र विकास और आर्थिक समृद्धि के पथ पर अग्रसर है। उनके आह्वान के परिणामस्वरूप विभिन्न औद्योगिक घरानों ने इस चुनौती को अवसर के रूप में स्वीकार किया है और पीपीई किट्स, मास्क इत्यादि जैसे विभिन्न उत्पाद देश में ही तैयार किए जा रहे हैं।

जय राम ठाकुर ने कहा कि जीएसएफसी और हिमफैड के संयुक्त उपक्रम से किसान लाभान्वित होंगे और उनके फसल उत्पादन में बढ़ौतरी होगी। उन्होंने कहा कि राज्य में सेब की आर्थिकी 4 हजार करोड़ रुपये से अधिक की है और इन उर्वरकों से सेब उत्पादक विशेष रूप से लाभान्वित होंगे। उन्होंने अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इन उत्पादों के बारे में जागरूकता पैदा करने पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हिमफैड की गतिविधियों को सुदृढ़ करने तथा किसानों को सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए जीएसएफसी की विशेषज्ञता की सहायता ली जाएगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इन उर्रवकों से फसलों में विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकताओं की पूर्ति से फसल उत्पादन तथा गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

शहरी विकास और सहकारिता मन्त्री सुरेश भारद्वाज ने किसानों और बागवानों को सहायता प्रदान करने में हिमफैड के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सेब और अन्य फलों के अलावा प्रदेश बड़े स्तर पर गैर मौसमी सब्जियों का उत्पादन कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 4400 सहकारी समितियां हैं और हिमफैड एक सर्वोच्च संगठन होने के नाते सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि राज्य में उर्वरक की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार और पड़ोसी राज्यों के साथ इस मामले को उठाया जाए।

हिमफैड के अध्यक्ष गणेश दत्त ने स्वागत भाषण में कहा कि हिमफैड को पिछले कुछ वर्षों के दौरान नुकसान हो रहा था, लेकिन पिछले दो वर्षों के दौरान 1.11 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है और घाटे को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमफैड प्रदेश में और अधिक पैट्रोल पम्प स्थापित करेगा, जिसके लिए 10 स्थान चिन्हित कर लिए गए हैं। उन्हांेने मुख्यमंत्री से हिमफैड का सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न श्रेणियों के रिक्त पदों को भरने का आग्रह किया।

जीएसएफसी के मुख्य प्रबन्ध निदेशक अरविन्द अग्रवाल ने कहा कि जीएसएफसी और हिमफैड के मध्य समझौते से हिमाचल प्रदेश में बागवानी और कृषि क्षेत्र को नया आयाम मिलेगा। उन्होंने कहा कि जीएसएफसी ने कैल्शियम नाइट्रेट और बोरोनेटिड कैल्शियम नाइट्रेट का उत्पादन शुरू किया है, जिसे इससे पहले देश में आयात किया जाता था। उन्होंने कहा कि जीएसएफसी हिमाचल प्रदेश को वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान 20 करोड़ रुपये के और अगले वित्त वर्ष के दौरान 31 करोड़ रुपये के उर्वरक उपलब्ध करवाएगा। हिमफैड के प्रबन्ध निदेशक केके शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। हिमफैड के उपाध्यक्ष राकेश ठाकुर, एपीएमसी शिमला के उपाध्यक्ष नरेश शर्मा, भारतीय उर्वरक संस्था के निदेशक सतीश चन्द्रा, अन्य वरिष्ठ अधिकारी और प्रगतिशील किसान इस अवसर पर उपस्थित थे।

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