शिमला। नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन ने आज हिमाचल प्रदेश में निर्माणाधीन 66 मेगावाट धौलासिद्ध जलविद्युत परियोजना का दौरा किया।
अपने दौरे के दौरान नन्द लाल शर्मा ने सनोटू, हमीरपुर में बांध कंक्रीटिंग कार्य का बटन दबाकर शुभारंभ किया। डैम पिट और नदी के दोनों किनारों पर खुदाई का कार्य पूरा होने के साथ आज बांध की कंक्रीटिंग का कार्य आरंभ हो गया है। अब यह परियोजना निर्माण के अग्रिम चरण में प्रवेश कर चुकी है। नंदलाल शर्मा ने सलासी, हमीरपुर में परियोजना कर्मचारियों के लिए गैर-पारिवारिक आवासीय परिसर का भी उद्घाटन किया। परियोजना में कार्यरत कर्मचारियों की सुविधा के लिए इस बैचलर आवास का निर्माण त्वरित गति से किया गया है। यह परियोजना स्थलों पर कर्मचारियों की 24×7 उपलब्धता की सुविधा के साथ परियोजना निष्पादन में भी तीव्रता लाएगा।
नन्द लाल शर्मा ने विभिन्न परियोजना घटकों पर चल रही निर्माण गतिविधियों की मॉनीटरिंग की और इनकी विस्तृत समीक्षा की। विद्युत गृह स्थल पर खुदाई का कार्य भी पूरा कर लिया गया है और विद्युत गृह की पहले चरण की कंक्रीटिंग जल्द ही शुरू होगी। टेल रेस चैनल की खुदाई का कार्य भी पूरा होने वाला है। श्री शर्मा ने कार्य की गति पर संतोष व्यक्त किया।
श्री नन्द लाल शर्मा ने विभिन्न परियोजना स्थलों पर तैनात कर्मचारियों और ठेकेदारों के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए, सभी को दिसंबर 2024 की निर्धारित समय सीमा के भीतर परियोजना को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर परियोजना के प्रमुख श्री परमिंदर अवस्थी के साथ परियोजना के अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27 दिसंबर 2021 को 66 मेगावाट की धौलासिद्ध जलविद्युत परियोजना की आधारशिला रखी गई। ब्यास नदी पर निष्पादित की जा रही इस रन ऑफ रिवर परियोजना की अनुमानित लागत 687 करोड़ रुपए है और परियोजना का वित्तीय क्लोजर हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के साथ हस्ताक्षरित किया गया है। परियोजना की कमीशनिंग पर इससे 304 मिलियन यूनिट वार्षिक विद्युत का उत्पादन होगा। परियोजना से उत्पादित विदयुत का लेवेलाइज्ड टैरिफ 4.46 रूपए प्रति यूनिट होगा।
धौलासिद्ध जलविद्युत परियोजना क्षेत्र के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में प्रमुख योगदान दे रही है। परियोजना की तीव्र निर्माण गतिविधियों के फलस्वरूप प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के कई अवसर सृजित हुए हैं। इस परियोजना से स्थानीय व्यवसायों को भी बढ़ावा मिला है। सीएसआर पहलों के तहत, विभिन्न सामुदायिक परिसंपत्तियों का निर्माण किया जा रहा है जो स्थानीय लोगों और हिमाचल प्रदेश राज्य को लाभान्वित कर रही हैं।