अलसिंडी में विक्रमादित्य सिंह का जोरदार स्वागत,अलसिंडी बंगला के पुनः निर्माण को लेकर लोगों ने सौंपा ज्ञापन

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करसोग। अंग्रेजी हुकूमत के समय में स्टेट रेस्ट हाउस का रुतबा पाने वाला अलसिंडी बंगला भवन आज खंडहर बन चुका है। राजा -रजवाड़ों तथा अफसरशाही के लिए अलसिंडी में निर्माण किया गया स्टेट रेस्ट हाउस भले ही आज लकड़ी-पत्थर पर मजबूती से खड़े होते हुए मरम्मत की राह देख रहा हो लेकिन यह बात हकीकत है कि अलसिंडी बंगला कभी बुलंद इमारत के रूप में भी रहा है।
अलसिंडी बंगाल स्टेट रेस्ट हाउस की धरोहर इमारत को बचाने के लिए अलसिंडी के लोग सरकारों से मिलकर लगातार प्रयास कर रहें है। इसी कड़ी में रविवार को प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह को स्टेट रेस्ट हाउस के पुनः निर्माण की मांग को लेकर स्थानिय लोगों ने ज्ञापन सौंपा। अलसिंडी पहुंचते ही लोगों ने मंत्री विक्रमादित्य सिंह का जोरदार स्वागत किया। लोगों ने मंत्री को इस रेस्ट रेस्ट हाउस से जुड़ी पूरी जानकारी दी।
मनोहर गुप्ता, हेमराज ठाकुर और नितिन गुप्ता का कहना है कि 1927 में छपी ‘‘गैजेट ऑफ  सुकेत’’ स्टेट में भी अलसिंडी के स्टेट रेस्ट हाउस की पूरी जानकारी दी गई है। पुस्तक में अलसिंडी के इस भवन को स्टेट रेस्ट हाउस का दर्जा दिया गया है, साथ ही इस भवन की जानकारी शिमला से कितनी दूरी पर स्थित है उसको लेकर भी बताया गया है।

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उन्होंने बताया कि लगभग 50 वर्ष पहले जब कांग्रेस की सरकार प्रदेश में थी तब लाल चंद प्रार्थी मंत्री के रूप में अलसिंडी बंगला के इस स्टेट गेस्ट हाउस में रुक चुके हैं तथा उपजाऊ भूमि व पशुधन को देख कर उन्होंने कहा था कि अलसिंडी में मिल्क प्लांट होना चाहिए। जबकि सुकेत रियासत के राजा व अन्य राजा भी इस स्टेट रेस्ट हाउस की छत का आनंद अपने लाव-लश्कर सहित ले चुके हैं। इस रेस्ट हाउस से ही यहां की पहचान हुआ करती थी। उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अलसिंडी बंगला के निर्माण के लिए सकारात्मक आश्वासन दिया है। लोगों को लोक निर्माण विभाग मंत्री के आश्वासन के बाद इस धरोहर इमारत के पुनः निर्माण की आस बढ़ गई है। उन्होंने विक्रमादित्य सिंह का अलसिंडी में लोगों की समस्याएं सुनने पर आभार प्रकट किया।
गौरतलब है कि यह रेस्ट हाउस एवं इसकी भूमि लोक निर्माण विभाग के नाम है। लेकिन इसकी मरम्मत के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए जिसके चलते यह भवन आज खंडहर बन गया है।

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