प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्तियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान में भी बड़े संयंत्र पर भर्ती प्रक्रिया में धांधली का खुलासा हुआ था। अब एचपीयू के दामन पर आंच आई है। साफ है कि वर्तमान प्रदेश सरकार के शासनकाल में चहेतों को रेवड़ियों की तरह नौकरियां परोसी जा रही हैं। जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि अभ्यार्थियों ने ही स्वयं आरोप लगाकर भर्ती प्रक्रिया से पर्दा उठाया है।
सिविल इंजीनियरिंग के घोषित उम्मीदवारों की सूची में पीएच.डी डिग्री धारकों को दरकिनार करके उनके स्थान पर एम.टैक डिग्री धारक को रखा गया है। सिविल इंजीनियरिंग के सामान्य श्रेणी के 3 पदों के लिए 35 उम्मीदवारो का साक्षात्कार 6 और 7 नवम्बर को वीसी ऑफिस में लिया गया था। 35 उम्मीदवारों में से 15 उम्मीदवार पीएच.डी धारक थे। जिन उम्मीदवारों को साक्षात्कार में उत्तीर्ण घोषित किया गया है, उनमें से एक उम्मीदवार एम. टैक डिग्री धारक है।
विज्ञप्ति प्रक्रिया में अधिक अंक पाने वाले उम्मीदवारों को दरकिनार करके उनके स्थान पर कम अंक पाने वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति दी गई है, जोकि एच.पी.यू. प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाती है। विज्ञप्ति प्रक्रिया में 100 में से 10 अंक यू.जी.सी. अप्रूव्ड रिसर्च पेपर्स के रखे गए थे, जिनमें से कुछ अभ्यर्थियों को अधिक अंक दिए हैं, जिससे पता चलता है कि पेपर्स की सत्यता को नहीं जांचा गया। एक तरफ यू.जी.सी. के अनुसार यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए वर्ष 2021 से पीएच.डी अनिवार्य कर दी है और दूसरी तरफ उसी पद के लिए पीएच.डी उम्मीदवारों के होते हुए एम.टैक उम्मीदवार रखे जाने से उम्मीदवारों में खासा रोष है।
उन्होंने इसकी जांच की मांग उठाते हुए कहा कि जिन उम्मीदवारों का चयन हुआ है, उनमें से कुछ शनिवार को ही ज्वाइन कर गए हैं जबकि शाम साढ़े 4 बजे तक रिजल्ट घोषित नहीं हुआ था, जिससे साफ़ जाहिर है कि चयनित उम्मीदवारों को पहले ही उनके चयन की सूचना मिल चुकी थी।