मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लिए ऊर्जा उपकरण विनिर्माण हब स्वीकृत करने का आग्रह किया

शिमला। प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार से पाॅवर ग्रिड काॅरपोरेशन को राज्य के स्पीति क्षेत्र और चिनाब बेसिन से बिजली की निकासी के लिए प्रभावी योजना बनाने का आग्रह किया। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने तीसरी ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टमेंट मिटिंग और एक्सपो, री-इन्वेस्ट 2020 में मुख्यमंत्रियों के प्लेनरी सैशन के दौरान सम्बोधित करते हुए कही, जिसका शुभारम्भ गत दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इस वर्चुअल आयोजन में पूरे विश्व के लगभग 25000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के चिनाब बेसिन और स्पीति क्षेत्र में 6000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता चिन्हित की है। उन्होंने कहा कि चिनाब नदी के बेसिन में विद्युत परियोजना को कार्यान्वित करने का कार्य सतलुज जल प्रबन्धन निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) एनटीपीसी प्रत्येक किश्ती और एनएचपीसी को आवंटित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त स्पीति क्षेत्र में 880 मेगावाट के मेगा सौर पार्क के विकास का कार्य एसजेवीएनएल को आवंटित किया गया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों में बिजली की निकासी के लिए प्रभावी योजना तैयार करने की आवश्यकता है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में ‘ग्रीन गौशाला’ योजना पर भी कार्य कर रही है, जिसके तहत सौर ऊर्जा का पूरी तरह से दोहन करके आत्मनिर्भर बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा। उन्होंने इस मामले में केन्द्र सरकार से भी सहयोग प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जैव ईंधन की अपार सम्भावना है। प्रदेश के जंगलों में चीड़ की पत्तियां और लैंटाना के रूप में प्रतिवर्ष लाखों टन जैव ईंधन उपलब्ध होता है। उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन के लिए उपलब्ध क्षमता का दोहन करने के लिए प्रदेश सरकार ने ‘पाईन निडल बेस्ड ब्रीकेट’ का शुभारम्भ किया है।

जय राम ठाकुर ने केन्द्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा कौशल विकास के राज्य मंत्री आर.के. सिंह से प्रदेश के लिए ऊर्जा उपकरण विनिर्माण हब स्वीकृत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार निर्माताओं को अन्य जन उपयोगी सेवाओं के अलावा आकर्षक दरों पर बिजली उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से मूल सुविधाओं और अधोसंरचना के लिए अनुदान उपलब्ध करवाने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में दोहन-योग्य लगभग 24000 मेगावाट बिजली की क्षमता है, जो देश के कुल बिजली उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अब तक 10596 मेगावाट का दोहन किया जा चुका है और प्रदेश सरकार ने अगले 10 वर्षों के लिए अतिरिक्त 10 हजार मेगावाट दोहन का लक्ष्य रखा है।

केन्द्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री आर.के. सिंह ने कहा कि वर्ष 2017 से कोयले पर आधारित उष्मीय ऊर्जा के मुकाबले में नवीकरणीय ऊर्जा की वार्षिक क्षमता में निरंतर वृद्धि हुई है और पिछले छः वर्षों में भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता अढ़ाई गुणा बड़ी है। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है कि बेहतर पर्यावरण नीतियां जीवन्त अर्थव्यवस्था को सुनिश्चित कर सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सशक्त नेतृत्व के कारण ही ‘एक राष्ट्र एक ग्रीड’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सका है।

केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को राज्य में ग्रीन गौशाला योजना, के लिए राज्य में ऊर्जा उपकरण विनिर्माण हब की स्थापना और राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों से बिजली की निकासी के लिए हरसंभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, लद्दाख के उप राज्यपाल राधा कृष्ण माथुर ने भी इस अवसर पर अपने विचार सांझा किए।

सीआईआई के महानिदेशक चंद्राजीत बैनर्जी ने कहा कि देश के हर नागरिक तक बिजली की पहंुच सुनिश्चित करने के लिए उत्पादन क्षमता और नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री के साथ शिमला में ऊर्जा मंत्री सुख राम चैधरी और अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा राम सुभग सिंह उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *