कोरोना के चलते पर्यटन उद्योग बुरी तरह प्रभावित

शिमला। इस बार हिमाचल में समय से पहले बर्फबारी हुई थी, पर काेविड-19 के कारण पर्यटन काराेबार काे गहरा धक्का लगा। 16 नवंबर काे जिला शिमला सहित प्रदेश के ऊपरी क्षेत्राें में अच्छी बर्फबारी हुई, इसके बावजूद काेराेना संक्रमण के बढ़ते कहर के चलते प्रदेश के हाेटलाें में 20% तक ही ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई है।सितंबर से हिमाचल पर्यटकाें के लिए खाेल दिया गया है, इसके बावजूद प्रदेश में पर्यटकाें की आमद पिछले साल के मुकाबले बहुत कम है। अकेले शिमला में तीन महीनाें में 80 हजार पर्यटक घूमने आए हैं, यहां पर 518 हाेटल हैं इनमें 3 माह में 20% तक की ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई।

2013 व 2018 में कम पर्यटक आए थे प्रदेश

यं तो प्रदेश में हर साल भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं लेकिन 2013 और 2018 में कम पर्यटक हिमाचल आए थे। 2013 में कुल एक कराेड़ 51 लाख 29 हजार 835 पर्यटक प्रदेश आए थे, जाे 2012 के मुकाबले 6.30 प्रतिशत कम थे। इसी तरह 2018 में पर्यटकाें की आमद में सबसे ज्यादा 16 प्रतिशत की गिरावट आई है।इस दाैरान प्रदेश में कुल 1 कराेड़ 64 लाख 50 हजार 503 पर्यटक आए थे, जाे 2017 के मुकाबले 16.08 प्रतिशत कम थे। 2019 में प्रदेश में 1 कराेड़ 72 लाख 12 हजार 107 पर्यटक हिमाचल घूमने आए हैं।

हाेटल काराेबारियों का कहना

टूरिस्ट इंडस्ट्री स्टेक हाेल्डर्स एसाेसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सेठ ने कहा कि काेराेना के बढ़ते मामलाें के चलते हाेटलाें की ऑनलाइन बुकिंग बंद हाे गई है। चंडीगढ़ और पंजाब से पर्यटक ताे आ रहा है पर वे एक दाे दिन के लिए आ रहा है। इससे पर्यटन काराेबार में फिर गिरावट आना शुरू हाे गई है। सरकार नाइट कर्फ्यू के दाैरान शहर काे सेनेटाइज करवाए ताकि पर्यटकाें में शिमला आने को डर का माहाैल न रहे।

कोविड के बढ़ते मामलों के चलते पर्यटकों के लिए ‘अटल राहें फिर बंद

पहले बर्फबारी और अब प्रशासन ने अटल रोहतांग टनल से सैलानियों के कदम रोक दिए हैं। पांच दिनों से सैलानी न तो अटल रोहतांग टनल को निहार पा रहे हैं और न ही लाहौल घाटी का रूख कर पा रहे हैं। सिर्फ लाहौल स्पीति जिला से संबंध रखने वाले लोगों के वाहनों को अटल टनल रोहतांग से जाने दिया जा रहा है, सैलानियों के वाहनों का सोलंगनाला से आगे जाने पर प्रतिबंधित है।इसके पीछे प्रशासन कोरोना के बढ़ते मामलों की दलील दे रहा है, लाहौल लाहुल स्पीति की पंचायतों ने कोविड के मामलों को देख अपने अपने क्षेत्रों में सैलानियों के आने पर पाबंदी लगा रखी है।

बर्फबारी: स्नो कवर्ड एरिया बढ़ा, ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार घटी

प्रदेश में पिछले तीन सालाें से नवंबर में हाे रही बर्फबारी हमारे ग्लेशियराें के लिए फायदेमंद रही है। इससे प्रदेश में स्नाे कवर्ड एरिया बढ़ा है वहीं ठंड बढ़ने से ग्लेशियराें के पिघलने की रफ्तार भी कम हुई है।

प्रिंसिपल साइनटिफिक ऑफिसर एसएस रंधावा ने बताया कि ऊंचाई वाले क्षेत्राें में ताे सितंबर से बर्फबारी शुरू हाे जाती है लेकिन निचले क्षेत्राें में समय से पहले हुई बर्फबारी से ग्लेशियराें के पिघलने की रफ्तार कम हाे जाती है। स्नाे कवर एरिया कितना बढ़ा है, अध्ययन किया जा रहा है।

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