शिमला। छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश ने निजी स्कूलों द्वारा टयूशन फीस के साथ सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली के खिलाफ शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। मंच ने निजी स्कूलों द्वारा छात्रों व अभिभावकों की मानसिक प्रताड़ना पर रोक लगाने की मांग की है। मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उसने पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को जबरन लागू करने की कोशिश की तो इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन होगा।
इस मुद्दे पर शिक्षा निदेशालय के बाहर मंच के सदस्य एकत्रित हुए तथा लगभग तीन घण्टे तक प्रदेश सरकार,शिक्षा विभाग व निजी स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते रहे। प्रदर्शनकारी निजी स्कूलों की लूट व खुली मनमानी के खिलाफ तीन घण्टे तक आंदोलनरत रहे।
मंच का एक प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त शिक्षा निदेशक,संयुक्त शिक्षा निदेशक व सहायक निदेशक से मिला व लगभग दो घण्टे बातचीत हुई। इस दौरान निजी स्कूलों पर नकेल लगाने के मुद्दे पर मंच के पदाधिकारियों व शिक्षा अधिकारियों के मध्य तीखी नोंक झोंक हो गयी। मंच के सदस्यों ने शिक्षा अधिकारियों पर निजी स्कूलों पर नरम रहने का आरोप लगाया व अपना विरोध ज़ाहिर करते हुए मंच के पदाधिकारी निदेशक कार्यालय के अंदर ही धरने पर बैठ गए। मंच के सदस्यों व पदाधिकारियों के मध्य काफी देर तक तनाव की स्थिति बनी रही। प्रदर्शनकारी तभी धरने से उठे जब अधिकारियों ने 10 नवम्बर व 8 दिसम्बर की छात्र व अभिभावक विरोधी अधिसूचनाओं को रद्द करने व निजी स्कूलों की टयूशन फीस के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के चार्जेज़ पर रोक लगाने का आश्वासन दिया व इस संदर्भ में अधिसूचना जारी करने की बात कही। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा,फालमा चौहान,विवेक कश्यप,जियानंद शर्मा,कमलेश वर्मा,विक्रम चौहान,मीनाक्षी कश्यप,बाबू राम,हिमी देवी,बालक राम,रामप्रकाश,रमन थारटा,अनिल ठाकुर,रविन्द्र चन्देल,ओमप्रकाश व गौरव नाथन आदि मौजूद रहे।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा,सदस्य फालमा चौहान,विवेक कश्यप,जियानंद शर्मा,कमलेश वर्मा,मीनाक्षी कश्यप ने शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर उन्होंने निजी स्कूलों की एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर फीस,स्मार्ट क्लास रूम व अन्य चार्जेज़ की वसूली पर रोक न लगाई तो आंदोलन तेज होगा। उन्होंने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छः लाख छात्रों के दस लाख अभिभावकों सहित कुल सोलह लाख लोगों से निजी स्कूलों की पूर्ण फीस उगाही का पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को बेहद चौंकाने वाला छात्र व अभिभावक विरोधी निर्णय बताया है। इस निर्णय के आने के बाद निजी स्कूलों ने छात्रों व अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है। निजी स्कूलों व संस्थानों ने दोबारा से छात्रों व अभिभावकों को पूर्ण फीस जमा करने के लिए मोबाइल मैसेज भेजना शुरू कर दिए हैं। इन मैसेज में उन्हें डराया धमकाया जा रहा है कि अगर पूर्ण फीस जमा न की गई तो छात्रों को न केवल संस्थानों से बाहर कर दिया जाएगा अपितु उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जाएगा।
विजेंद्र मेहरा ने शिक्षा निदेशक की 8 दिसम्बर की अधिसूचना को निजी स्कूलों की मनमानी को बढ़ाने वाला कदम बताया है। उन्होंने कहा है कि इस अधिसूचना में स्कूल पीटीए व प्रबंधन को फीसों के संदर्भ में निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया है। जब स्कूल ही नहीं चले व जनरल हाउस का आयोजन नहीं हुआ तो फिर पीटीए कब,कैसे और कहां बन गयी। यह सब डम्मी पीटीए को मान्यता देने के लिए हो रहा है ताकि उन डम्मी पीटीए के ज़रिए निजी स्कूलों द्वारा सभी तरह के चार्जेज़ को वसूलने के कदम को जायज़ ठहराया जा सके। उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह निजी स्कूलों द्वारा पूर्ण फीस वसूली के मामले पर हस्तक्षेप करके प्रदेश सरकार पर कार्रवाई करे। प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय की गलत व्याख्या कर रही है व अपनी सुविधा अनुसार माननीय उच्च न्यायालय के नाम पर निजी स्कूलों को छूट दे रही है। उन्होंने एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर,स्मार्ट क्लास रूम फीस आदि के नाम पर मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने वाले निजी स्कूल प्रबंधनों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए।