किसानों, बागवानों की फसलों को मंडियों तक पहुंचने और उत्पादन का उचित मूल्य सुनिश्चित करने की संजय चौहान ने सरकार से की मांग

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शिमला। शिमला के पूर्व महापौर एवं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमण्डल सदस्य संजय चौहान का कहना है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण सरकार द्वारा लागू किए गये लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण देश व प्रदेश में किसान व बागवान भी संकट का सामना कर रहा है। प्रदेश में लागत वस्तुए जैसे खाद, स्प्रे में प्रयोग में होने वाले फफूंदीनाशक व अन्य रसायन आदि की कमी के कारण प्रदेश का किसान व बागवान अत्यंत चिंतित हैं। इसके साथ साथ जैसे ही किसान की फसल पकने को तैयार हो रही है तो लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण इन्हें मण्डियों तक भेजने का संकट भी खड़ा हो गया है। संजय चौहान ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि प्रदेश में मटर, गोभी, टमाटर की फसल तैयार है तथा सी ए स्टोर में लाखों पेटियां सेब की पड़ी है परन्तु इनको मण्डियों तक पहुंचाने में किसानों को अत्यंत परेशानी हो रही है। इसके अलावा शीघ्र ही प्रदेश में चेरी, गुठलीदार व अन्य फलो की फसल भी पक कर तैयार होने वाली है और इसके लिए पैकेजिंग सामग्री जिसमे गत्ते के बॉक्स, पेटियां व ट्रे आदि का उत्पादन लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण फैक्टरियां बन्द होने से बिल्कुल ठप्प पड़ा है। जिसके कारण बागवानों को उनकी फसल को मण्डियों तक पहुंचाने के लिए कोई प्रबन्ध न होने के कारण इसके बर्बाद होने की चिंता सता रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सेब की आर्थिकी का महत्वपूर्ण योगदान सदैव ही रहा है। आज इस विकट परिस्थिति में यदि समय रहते सरकार द्वारा इसको संभालने के लिये योजनाबद्ध रूप से उचित प्रबंध न किए गए तो इस अर्थव्यवस्था पर भी संकट आ जाएगा और लाखों परिवार जो बागवानी से अपनी आजीविका कमाते हैं उनका भी भविष्य में रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। सामान्य हालात में प्रदेश में पैदा होने वाले सेब व अन्य फलों के पैकेजिंग सामग्री के निर्माता पेटियों, बॉक्स व ट्रे का उत्पादन मार्च के महीने में आरम्भ कर इसकी आपूर्ति करते थे। परन्तु इस बार अप्रैल का महीना आरम्भ हो गया है और अभी तक लॉकडाउन के कारण फैक्टरियां बन्द होने के कारण पैकेजिंग सामग्री का उत्पादन आरम्भ ही नही किया गया है। यदि समय रहते इसे आरम्भ न किया गया तो अन्य फसलों व फलों के अलावा केवल सेब की ही लगभग 4000 करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था पर संकट आ जायेगा और बर्बादी का खतरा है। यदि यह बर्बाद हुई तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी और लाखों लोगों की आजीविका व रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि इन विकट परिस्थितियों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) सरकार से मांग करती है कि सेब, चेरी, गुठलीदार व अन्य फलों के पैकिंग सामग्री जिनमें पेटियां, बॉक्स व ट्रे आदि सम्मिलित हैं उनके उत्पादन को आवश्यक वस्तुओं में सम्मिलित कर इनकी फैक्टरियों को भी दवा उत्पादन करने वाली फ़ैक्टरियों की भांति इनमें उत्पादन तुरन्त आरम्भ किया जाए तथा इनको कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाया जाए ताकि प्रदेश में फल सीजन आरंम्भ होने पर किसानों व बागवानों को कोई भी परेशानी न हो। इसके साथ जिन किसानों की फसलें तैयार है उनको मण्डियों तक पहुंचाने व इस संकट की घड़ी में उनके उत्पादन का उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाये जाए व जिन किसानों को अपना उत्पाद मंडियों तक ले जाने में कठिनाई हो रही है उसका उत्पाद सरकार वहीं खरीद कर उसे उचित मूल्य प्रदान करे ताकि उसको इस संकट की घड़ी में राहत मिल सके।

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