नहीं रहे प्रख्यात शिक्षाविद् व साहित्यकार निरंजन नाथ रैना


मंंडी। मण्डी में अस्सी के दशक में बतौर जिला शिक्षाधिकारी अपनी उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले प्रख्यात शिक्षाविद निरंजन नाथ रैना का 18 सितम्बर को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया.उन्हे करोना से संक्रमित होने के कारण 16 सितम्बर को आई जी एम सी शिमला में भर्ती किया गया था. परन्तु 18 सितम्बर शाम को रैना करोना से जंग हार गए.रैना यूरोलोजी के विभागाध्यक्ष पम्पोष रैना के पिता थे.
निरंजन नाथ रैना मूल रूप से श्रीनगर से सम्बंध रखते थे.घाटी में 1950 में वे उस समय पंजाब क्षेत्र में कांगड़ा आए.पंजाब शिक्षा सेवा को उत्तीर्ण कर इन्होने पालमपुर, हरिपुर व गुलेर में बतौर मुख्याध्यापक अपनी सेवाएं दी.वे सुन्दरनगर के बी बी एम बी स्कूल में मुखिया के तौर पर सेवा देते रहे.हिमाचल प्रदेश के 1971 में पूर्ण राजत्व का दर्जा मिलने के बाद रैना हिमाचल शिक्षा सेवा में आए.उन्होने सबाथू ,बनीखेत में अपनी सेवाएं दी.उन्होने करसोग में प्रधानाचार्य के रूप में 1977 से 1980 तक अपनी उत्कृष्ट सेवाएं दीं.उनके प्रयासों से करसोग के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को नयीं ऊंचाईयां प्राप्त हुई़.उनके प्रयासों से कई बीघा सरकारी जमीन को स्कूल के नाम करवाया गया.उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि आज उस शिक्षा विभाग की जमीन पर महाविद्यालय का विशाल भवन व परिसर भी बना है.
रैना ने लाहौल-स्पिति व शिमला जिले में उप शिक्षाधिकारी के रूप में बेहतरीन सेवाए भी दीं.

रैना एक शिक्षाविद के साथ साथ राज्य के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार भी थे.उन्होने 1980 में शिमला में हिमाचल साहित्य मंच की स्थापना कर साहित्यिक गतिविधियों को नये आयाम दिए .मंच के माध्यम से साहित्य व कला से जुड़े लेखकों व कलाकारों को प्रोत्साहन दिया .रैना ने हिमाचल भाषा कला एवम् संस्कृति विभाग की शोध योजना के तहत सुकेत लोकसंस्कृति व साहित्य पर शोधात्मक पत्र प्रकाशित किया है. रैना की पुत्री सुरभि रैना बाली जो वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कुमारसैन में प्रधानाचार्य पद पर सेवारत हैं का कहना है कि उनके पिता ने यशोधरा शीर्षक से ऐतिहासिक काव्य रचना लिखी है.उन्होने कई कहानियां व कविताएं भी लिखीं .वे अब तक लेखन कार्य से सक्रिय रूप से जुड़े रहे. उनका एक काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला था.
निरंजन नाथ रैना एक सफल कृषक भी रहे है.उन्होने बीस वर्ष पूर्व करसोग के कोट गांव में अपने सेब के बागीचे में केसर तैयार कर एक मिसाल पेश की. रैना ने पुत्र व पुत्री में कोई लैंगिक भेद भाव नही किया.उनके दो पुत्र व पुत्र डाक्टर व एक पुत्री प्रधानाचार्य हैं. उनके ज्येष्ठ पुत्र डा राजीव रैना आई जी एम सी के मेडीसन विभाग में पूर्व प्रोफैसर रह चुके हैं.छोटे पुत्र डा पम्पोष रैना वर्तमान में यूरोलोजी के विभागाध्यहक्ष हैं.बड़ी पुत्री डा प्रतिभा शर्मा सेवानिवृत डाक्टर ,दूसरी पुत्री सुरभि रैना बाली प्रधानाचार्य व तीसरी पुत्री इ एन टी विशेषज्ञ और पौत्र अभिनव रैना डाक्टर व पौत्री निधि रैना पैथोलोजी में एम डी है .उनकी बड़ी पुत्र वधु डा अंजना रैना सेवा निवृत उपस्वास्वाथ्य निदेशक और छोटी पुत्र वधु डा मीनाक्षी रैना पैथोलजी विशेषज्ञ है.अपने सेवाकाल में रैना गरीब बच्चों की फीस व आर्थिक सहायता किया करते थे. स्वास्थ्य विभाग के उप-निदेशक डॉक्टर रमेश चंद,सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच पांगणा के अध्यक्ष डाक्टर हिमेन्द्र बाली ‘हिम’, साहित्यकार और शिक्षाविद डॉक्टर गिरधारी सिंह ठाकुर, पुरातत्व चेतना संघ मण्डी द्वारा राज्य पुरातत्व चेतना पुरस्कार से सम्मानित डाक्टर जगदीश शर्मा,करसोग उप-मंडल के वरिष्ठ समाजसेवी नरेन्द्र शर्मा,मित्र देव मित्रा, जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान,राजस्व संघ के राष्ट्रीय सदस्य मोतीराम चौहान,व्यापार मंडल पांगणा के अध्यक्ष सुमित गुप्ता,चुनाव विभाग में सेवारत देवेन्द्र कुमार, सेवानिवृत कर्मचारी संघ के प्रधान धर्म प्रकाश शर्मा,जितेन्द्र शर्मा,पतंजलि योग पीठ के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के जिला प्रभारी जितेन्द्र महाजन,तहसील प्रभारी चेतन शर्मा,समाज सेवी भूपेन्द्र ठाकुर,अध्यापक किशोरीलाल शर्मा,घनश्याम शास्त्री,जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान,राजस्व संघ के राष्ट्रीय सदस्य मोतीराम चौहा,युवा प्रेरक पुनीत गुप्ता,सुभाषपालेकर प्राकृतिक खेती के मास्टर प्रशिक्षिका लीना शर्मा,सोमकृष्ण गौतम, प्रथम श्रेणी ठेकेदार सुरेश शर्मा,युवा वैज्ञानिक शरद महाजन, विपुल शर्मा,टैक्सी यूनीयन के सुरेश कौशल ने प्रख्यात शिक्षाविद निरंजन नाथ रैना के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।रैना के देहावसान से पूरे शिक्षा जगत व साहित्य क्षेत्र को अपूर्णीय क्षति पहुंची है।

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