करसोग। करसोग में एचआरटीसी वर्कशॉप की दयनीय हालत सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद सुधर सकती है। जिस जगह पर वर्कशाप के लिए भवन का निर्माण किया जाना है। उसका एफसीए केस अभी सैकिंड स्टेज पर है। ऐसे में हिमाचल पथ परिवहन निगम को सुप्रीम कोर्ट के आदर्शों का इंतजार है, जैसे ही अनुमति मिलती है वर्कशॉप का कार्य शुरू होगा। यहां करसोग रामपुर को जोड़ने वाली सड़क में सनारली के समीप करसोग डिपो की वर्कशॉप कई सालों से खुले आसमान के नीचे चल रही है। टेक्निकल स्टाफ के कर्मचारी सुविधा के अभाव में अपना कार्य कर रहे हैं। बारिश के दिनों में टेक्निकल स्टाफ के लोग कीचड़ में कार्य करने को मजबूर है। वहीं धूप लगने पर कर्मचारी धूल मिट्टी के बीच अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां पर कर्मचारियों के लिए शौचालय की भी कोई व्यवथा नहीं है। वर्कशॉप तक जाने वाली सड़क कच्ची है, इस कारण बारिश के दिनों में कीचड़ की वजह से वर्कशॉप से निकलने वाली गाड़ियां कीचड़ में स्किड कर जाती है। वर्कशॉप में पक्का फ्लोर भी नही है। जिससे टेक्निकल स्टाफ को बसों की रिपेयर करते वक्त भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। करसोग डिपो की इस वर्कशॉप में करीब 25 कर्मचारी कार्य रहे हैं। इसमें 20 के करीब कर्मचारी टेक्निकल स्टाफ के हैं। कर्मचारी वर्कशॉप ही हालत सुधारने के मामले को कई वार निगम प्रबंधन से उठा चुके है। लेकिन इस मांग को लेकर कोई उचित निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसे में अब अगर सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद वर्कशॉप का कार्य जल्द शुरू होता है। इससे वर्कशॉप में कार्य करने वाले कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है।
हिमाचल पथ परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार ने माना है कि करसोग डिपो में वर्कशॉप की हालत ठीक नहीं है। जो एफसीए का केस है वह सैकिंड स्टेज में है। जैसे ही सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलती है वर्कशॉप का कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने साल के अंत तक काम आरम्भ होने की उम्मीद जताई है।