कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा इस बार फीका रहा है|ढालपुर में इस बार आठ देवी देवताओं के आगमन के बाद भगवान रघुनाथ की रथयात्रा शुरू हुई। हालांकि शाम को 3 अन्य देवता भी इसमें शामिल हुए। इसके साथ ही सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज हो गया है। ढालपुर में यह उत्सव 31 अक्तूबर तक चलेगा। इस उत्सव के आगाज पर भगवान रघुनाथ अपनी पालकी में सुलतानपुर स्थित अपने मंदिर से अपने हारियानों के साथ ढालपुर मैदान पहुंचे।यहां देव रस्में निभाने के बाद जैसे ही साथ लगी पहाड़ी से भेखली यानि भुवनेश्वरी माता ने रथ यात्रा को झंडी दिखाई तो वैसे ही रथ यात्रा आरंभ कर दी। रथ को रस्से के सहारे करीब सौ लोगों ने खींचा जबकि उत्सव में हारियानों सहित सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। भगवान रघुनाथ के रथ के साथ आठ देवी देवता अपने लाव लश्कर के साथ रघुनाथ के अस्थाई शिविर तक पहुंचे।
देवी हिडिंबा बाेली देवताओं से बड़ी सरकार हो गई, रुष्ठ दिखे देवता धूंबल
दशहरा उत्सव में भाग लेने पहुंचे देवी देवता नाराज दिखे। उत्सव में भाग लेने पहुंची माता हिडिंबा ने कहा कि आज देवताओं से बड़े प्रशासन और सरकार हो गए हैं। देवताओं को खिलौना बनाया हुआ है। माता ने भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह से गुर के माध्यम से बात करते हुए कहा कि आज देवता बौने हो गए हैं। माता ने कहा कि मनुष्य को डरने की बात नहीं हैं मैं संकट से बचाने का दम रखती हूं।इस दौरान नाग धूंबल देवता भी उत्सव में न बुलाने को लेकर भी नाराजगी जताई। गौरतलब है कि उत्सव में भाग लेने के लिए सात देवी देवताओं पर ही सहमति बनी थी जिसके चलते सैकड़ों देवी देवताओं से उत्सव में न भाग लेने का निवेदन किया गया था ताकि कोविड 19 का उल्लंघन न हो।