शिमला। किसानों और मज़दूरों के देशव्यापी आन्दोलन के समर्थन में हिमाचल किसान सभा कसुम्पटी इकाई ने खण्ड मुख्यालय मशोबरा में प्रदर्शन किया और खण्ड विकास अधिकारी मशोबरा की मार्फत मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय मांगों के साथ-साथ स्थानीय मांगों का ज्ञापन भी दिया।
किसानसभा के जिलाध्यक्ष सत्यवान पुण्डीर ने कहा कि कसुम्पटी प्रदेश का सबसे अंतिम विधानसभा क्षेत्र है जहां सबसे बाद सरकारी कॉलेज बना लेकिन अभी तक भी इस कॉलेज का भवन तैयार नहीं हो पाया है। इस क्षेत्र के स्कूलों में हमेशा स्टाफ की कमी रही है और विधानसभा क्षेत्र में आने वाले 25 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में से मात्र 6 स्कूलों में ही विज्ञान और कॉमर्स विषय पढ़ने के अवसर हैं। विज्ञान में भी एक स्कूल में मात्र नॉन मेडिकल है। स्कूलों में विज्ञान की प्रयोगशालाएं नहीं हैं।
स्वास्थ्य संस्थानों में न तो स्टाफ पूरा होता है, न जांच की सुविधाएं, न ही रात्रि स्वास्थ्य सेवाएं। सत्यवान ने कहा कि ऐसे में रोगी को क्षेत्रीय अस्पताल या राज्य स्तरीय अस्पताल शिमला ही आना पड़ता है। इससे ऊपरी अस्पतालों पर तो बोझ बढ़ता ही है साथ ही गरीब जनता पर भी आर्थिक बोझ पड़ता है।
जिलाध्यक्ष ने कहा कि ऐसे संकट के समय में जब प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उससे निपटने के लिए सरकार के इंतज़ाम बहुत ही कमज़ोर है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस संकट के समय में प्रदेश की जनता को छोड़कर मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर के निकाय चुनाव में प्रचार करने निकले हुए हैं।
सत्यवान ने कहा कि अधिकतर गांव ऐसे हैं जहां आज़ादी के 7 दशकों बाद भी लोक निर्माण विभाग से अनुमोदित सड़क नहीं है। कुछ गांव तो अभी तक भी सड़क सेवा से बिल्कुल वंचित है। इर्दगिर्द के गांव पेयजल और सिंचाई सुविधा से वंचित हैं जिनमें अधिकतर दलित गांव हैं।
कसुम्पटी इकाई किसान सभा के सचिव जयशिव ठाकुर ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों नालदेहरा और कुफरी में विधानसभा क्षेत्र कसुम्पटी और ठियोग की पंचायतों के सैंकड़ों नौजवान और उनके परिवारों की आजीविका प्रभावित हुई है। उनमें घोड़े/याक वाले, टूरिस्ट गाईड, फोटोग्राफर, छोटा ढाबा/ठेला लगाने वाले और होटलों में काम करने वाले लोग शामिल हैं। खासतौर पर कम से कम 40 घोड़े या तो जंगली जानवरों का शिकार हुए हैं या गिरने अथवा गाड़ियों के साथ टकराने के कारण मरे हैं।
अनलॉक होने के बावजूद भी इन पर्यटन स्थलों के आसपास बने होटल मालिक अभी भी न तो होटल खोल रहे हैं और न ही उन होटलों में काम कर रहे लोगों को पुनः काम पर ले रहे हैं जबकि वे प्रदेश द्वारा दी जा रही बिजली, पानी व अन्य रियायती सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि पर्यटन से जुड़े लोगों को एकमुश्त न्यूनतम आर्थिक राहत दी जाए और जानवरों के नुकसान का मुआवज़ा दिया जाए।
होटल मालिकों को दिशानिर्देश दिये जाएं कि वे होटलों में लॉकडाउन से पहले काम कर रहे पूरे स्टाफ को तुरन्त काम पर लें और उनका मेहनताना अदा करें। किसान नेता कृष्णानन्द शर्मा ने जहां बढ़ती मंहगाई पर चिंता व्यक्त की वहीं नौजवान नेता विरेन्द्र ने मज़दूर विरोधी कानूनों को वापिस करने और उनके हक बहाल करने की मांग उठाई।
मशोबरा में स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए किसान सभा ने खण्ड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय मशोबरा में भी ज्ञापन सौंपा।