ऊना जिला में रबी की फसल का साल 2019 में किसानों को मिला एक करोड़ बीमा

 ऊना ।कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और ग्रामीण क्षेत्रों की अधिकतम आबादी की आजीविका कृषि व कृषि संबद्ध गतिविधियों पर ही आश्रित है। सरकार द्वारा किसानों को कृषि पद्धति में स्वदेशी ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान, आधुनिक कृषि उपकरणांे को भारी अनुदान पर उपलब्ध करवाने तथा खेत की तैयारी, खेत का चुनाव, खरपतवार नियंत्रण, पौध सरंक्षण, फसलोत्तर प्रबंधन, फसल की कटाई, मृदा जांच इत्यादि प्रत्येक पहलु के प्रति जागरुकता लाने के लिए कई प्रोत्साहनवर्धक योजनाएं कार्यान्वित की हैं। जिससे फसल उत्पादन में काफी गुणा वृद्धि हुई है। यह वक्तव्य कृषि मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने दिये।

उन्होंने कहा कि बावजूद इसके विपरीत मौसमीय परिस्थितियां, प्राकृतिक प्रकोप, आगजनी जैसी आपदाओं से किसानों को राहत प्रदान करने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 13 जनवरी 2016 को एक नई योजना ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ का अनावरण किया गया। इस योजना से उन सभी किसानों को जोड़ा गया, जिन्होंने बैंकों से कृषि ऋण ले रखा है ताकि फसल के नुक्सान से किसानों को राहत मिल सके। जबकि गैर ऋणी किसानों व बागवानों को भी इस योजना जोड़ा गया है।  उन्होंने बताया कि बीमा दावे के निपटान की प्रक्रिया भी सरल है। प्रभावित किसान अपने प्रधान, पंचायत सचिव, पटवारी इत्यादि से प्रमाण-पत्र लेकर अथवा अपने मोबाइल फोन से वीडियो बनाकर क्रॉप इंस्योरेंस ऐप पर भी बीमे का दावा कर सकता है या सम्बन्धित विकासखण्ड कृषि अधिकारी, बीमा कंपनी के अधिकारी या जिस बैंक से ऋणी हैं, को 72 घंटे के भीतर लिखित में सूचित कर सकता है।

ऊना में मेबाइल वैन, विशेष किसान शिविरों के माध्यम से हो रहा प्रचार: अतुल डोगरा

कृषि उपनिदेशक अतुल डोगरा ने बताया कि जि़ला ऊना में 24 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ तथा ‘पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना’ जागरुकता कार्यक्रम चलाया गया है, जिसके तहत जिला के सभी गांवों में मोबाइल वैन के माध्यम से किसानों को इन योजनाओं की जानकारी देकर प्रेरित किया जा रहा है। इसके व्यापक प्रचार को सुनिश्चित करने हेतु खंड स्तर पर कृषि अधिकारियों को भी शामिल कियाा गया है। इसके अतिरिक्त विशेष किसान शिविरों का भी आयोजन किया जा रहा है। अब तक अम्ब ब्लॉक के सभी गांवों सहित लगभग 200 गांव कवर हो चुके हैं। कृषि उपनिदेशक ने बताया कि जिला में वर्ष 2019 में रबी की फसल यानि गेहूं के लिए 5220 किसानों को एक करोड़ रूपये की राशि बीमा दावे के रूप में हसिल हुई है, जबकि खरीफ की फसल 4798 किसानों को 51 लाख 85 हजार रूपये बीमा दाबे के रूप में दिये गये। उन्होंने कहा कि जिला का काफी क्षेत्र अधिकतर चिंतपुर्णी व कुटलैहड़ क्षेत्र की कृषि वर्षाजल पर ही आश्रित है और वर्तमान में सामान्य से बहुत कम वर्षा से सूखे की आशंका को देखते हुए फसल बीमा योजनाएं किसानों को काफी राहत देंगी। इसके लिए जिला के कृषि व बागवानी विभाग को सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं, ताकि जिला के सभी किसान इन योजनाओ लाभ उठा सकें।

किस फसल के लिए कितना प्रीमियम कितना बीमा

 गेहूं की फसल के लिए किसान को 36 रूपये प्रति बीघा प्रीमियम अदा करने पर 450 रूपये बीमित राशि प्राप्त होगी। प्रति हेक्टेयर पर 450 रूपये प्रीमियम के बदले 30000 रूपये का बीमा होगा। इसके लिए 15 दिसम्बर से पूर्व किसान को प्रीमियम अदा करना होगा। ‘पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना’ के तहत आलू के लिए 3750 रूपये प्रति बीघा प्रीमियम की अदायगी के बदले 75000 रूपये का बीमा होगा। इसके लिए 31 अगस्त तक किसान बीमा करवा सकते हैं। जबकि बागवानी में आम पर 31 रूपये प्रति पेड़ प्रीमियम अदा करने पर 620 रूपये के लिए तथा नींबू 24 रूपये 25 पैसे प्रति पेड़ प्रीमियम पर 495 रूपये का बीमा अदा करने का प्रावधान है। बागवान आम के लिए 20 दिसम्बर तथ नींबू के लिए 14 फरवरी तक बीमा करवा सकते हैं। सरल प्रक्रिया से बीमा  बीमा करवाने की प्रक्रिया भी सरल है। जिन किसानों ने पहले से बैंकों से कृषि ऋण ले रखा है, वे बैंकों के माध्यम से बीमा योजना के अन्तर्गत बीमित रहेंगे। जबकि जो ऋणी किसान बीमा नहीं करवाना चाहते हैं, उन्हें अपना घोषणा पत्र स्वयं बैंक में देना अनिवार्य है।  गैर ऋणी किसान अपना आधार कार्ड, बैंक पास बुक, भूमि की फरद, स्व-सत्यापित फसल प्रमाण पत्र लेकर नजदीकी लोक मित्र केन्द्र से बीमा करवा सकते हैं। इसके अलावा वे किसान जो अपनी भूमि पर खेती नहीं कर रहे हैं, वे भी लीज एग्रीमेंट की कापी लेकर इस योजना में शामिल हो सकते हैं।

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