किसान की आड़ में विपक्षी दल षड़यंत्र की राजनीति छोड़ राजधर्म का पालन करें: धूमल

हमीरपुर। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल ने कृषि कानून को किसान के हितों के लिए सर्वोपरि करार देते हुए किसान की आय और मुनाफे को बढ़ाने में मोदी सरकार का साहसिक निर्णय बताया है। धूमल ने कहा कि इन कानूनों के लागू होने से कृषि के क्षेत्र में जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का विस्तार होगा। वहीं पर अन्नदाता मोदी सरकार की अन्य योजनाओं से ओर अधिक सशक्त बनेगा। स्वयं मोदी और कृषि मंत्री तोमर ने एमएसपी की व्यवस्था और निजी मंडियों सहित एपीएमसी की व्यवस्था को पूर्व की भांति बनाये रखने की बात को बार-बार दोहराया है।

धूमल ने कहा कि देश के भोलेवाले मेहनती किसानों को कांग्रेस, मार्क्सवादी और अन्य गैर भाजपाई राजनीतिक दल राजधर्म छोड़ सिर्फ अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन को दोबारा पाने के लिए भ्रमित कर आंदोलन की राह पर ले आए हैं। सत्ता से बाहर जाते ही कांग्रेस औऱ अन्य विपक्षी दल अपने घोषणा पत्रों में कही बात से पीछे हटते हुए अब किसान के साथ खड़े होने का ढोंग कर रहें हैं। जोकि दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीतिक दिवालियापन की निशानी है। साल 2014 से ही मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर और नए अवसरों को सृजित करने का दृढ़ संकल्प किया था और उसी कड़ी में सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है।

धूमल ने कहा कि सिर्फ मोदी सरकार ही किसान हितैषी है। जिसने इन नए कृषि विधेयकों में किसानों को उनकी आमदनी को दोगना करने का सकारात्मक स्थान दिया है। कॉन्ट्रैक्ट खेती में खरीददार सिर्फ किसान की उपज का ही कॉन्ट्रैक्ट करेगा। खरीददार किसान की ज़मीन को न गिरवी, ऋण और विक्रय कर पायेगा। किसान मनचाहे समय पर कॉन्ट्रैक्ट से पीछे हट सके ऐसी व्यवस्था भी इस कानून में की गयी है। जहां इस बिल में बुवाई से पहले ही किसान अपनी उपज का सही मूल्य तय कर पायेगा। वहीं कृषकों को व्यवसायिक, कंपनियों, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और निर्यातकों से सीधे जोड़ने का लक्ष्य भी इस बिल के अंदर समाहित किया गया है। जोकि किसान को विचौलियों से निजात दिलाएगा और गांव में ही फसल के उचित विक्रय का अवसर प्रदान करेगा।

यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने गेंहू और धान की खरीद पर एमएसपी के आधार से 8 लाख करोड़ की राशि खर्च कर 2.25 गुणा से अधिक खरीद की है। यही नहीं मोदी सरकार ने दलहन (112.58 लाख मीट्रिक टन) व तिलहन (56.36लाख मीट्रिक टन) के भंडारण में भी क्रमशः 74 गुणा और 15 गुणा की अधिक खरीद कर सही मायने में किसान को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की पहल की है। इस कोविड-19 के दौरान भी कृषि और कृषि सम्बंधित आधारभूत ढांचे की मजबूती के लिए किसान को खेती के इलावा दुग्ध, मत्स्य, भेड़ पालन और पशुपालन उत्पाद के सम्वर्धन के लिए मोदी सरकार ने एक लाख करोड़ की व्यवस्था की है।

इस बिल में ही किसान को संगठित कर गांव में ही फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन के निर्माण करने से उपज का उचित भंडारण किसान को आर्थिक समृद्वत्ता प्रदान करेगा। इसके लिए मोदी सरकार ने साल 2023-24 तक 10 हजार एफपीओ निर्माण के लिए 6865 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। एफपीओ के निर्माण होने से किसान अपनी पैदावार को उचित मूल्य पर बेचने तक अपने भंडारण में रख पाएंगे और प्रभावी सौदेबाजी औऱ मोलभाव करने में भी दक्षता हासिल कर पाएंगे। जिस तरह कांग्रेस और अन्य गैर भाजपाई राजनीतिक दल किसानों के कंधे का प्रयोग कर नकारात्मक और विघटनकारी राजनिजि कर रहें है। देश की जनता सही समय पर इन राजनीतिक दलों को माकूल जवाब देगी।

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