शिमला। राष्ट्रीय हैल्थ मिशन के तहत पूरे प्रदेश में गांव-गांव सेवाएं दे रही आशा वर्कर्ज पंचायती राज चुनाव लड़ सकेंगी। उनके चुनाव लड़ने को लेकर चल रहा असमंजस खत्म हो गया है। इस बारे में सरकार ने स्थिति स्पष्ट करते हुए साफ कर दिया है कि आशा वर्कर्ज भी पंचायती राज चुनाव लड़ सकेंगी। पंचायत सदस्य चुने जाने पर इन्हें आशा वर्कर्ज के पद को भी छोड़ना नहीं पडे़गा। सचिव पंचायती राज द्वारा इस बारे में प्रदेश के सभी जिला पंचायत अधिकारियों को पत्र जारी करके यह सपष्ट कर दिया है।
सरकार की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि आशा वर्कर न तो सरकारी कर्मचारी हैं और न अनुबंध पर कार्यरत हैं और अंशकालीन कर्मचारी भी नहीं हैं।केंद्र सरकार के मापदंड के अनुसार इन्हें स्वयंसेवी एक्टिविस्ट के तौर पर रखा गया है और इसी आधार पर ग्रामीण स्तर पर कार्य लिया जाता है, जिसके बदले में उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाती है। ऐसे में यदि कोई भी आशा वर्कर्ज यदि पंचायती राज संस्थान का चुनाव लड़कर प्रतिनिधि बनती है, तो उसे आशा वर्कर्ज के काम से अयोग्य नहीं किया जा सकता है। वह इसे पहले की तरह जारी रख सकती है।
ऐसे में उनके लिए न केवल चुनाव लड़ने का रास्ता साफ है, बल्कि चुनाव जीतने के बाद भी वह आशा वर्कर का काम कर सकती है। इस पर कोई पाबंदी नहीं है। गौरतलब है कि इस बारे में राष्ट्रीय हैल्थ मिशन ने पंचायती राज विभाग से सपष्ट करने का आग्रह किया था, जिसके चलते इस तरह का पत्र पंचायती राज सचिव ने सभी जिला पंचायत अधिकारियों को जारी किया था।