ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान के लिए किसान सभा ने सरकार से की विशेष राहत प्रदान करने की मांग

शिमला। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भारी ओलावृष्टी से हुए फसलों के नुकसान के लिए किसान सभा सरकार से विशेष राहत प्रदान करने की मांग करती है। इस बार हुई ओलावृष्टि ने पिछले 10-12 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। ओलावृष्टी के 18 घण्टे बाद भी ओला पिघला नहीं है। हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर, महासचिव डॉ ओंकार शाद व वित्त सचिव सत्यवान पुण्डीर द्वारा जारी संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि इस बार हुए ओलावृष्टी ने समतल तथा पहाड़ी दोनों क्षेत्रों में किसानों की तैयार फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

डॉ शाद ने कहा कि बागवानी में कोरोना महामारी के चलते मजदूरों की कमी के कारण बागवान अपने बगीचों में जाली नहीं लगा पाने की वजह से पौधों पर आ रहे फूलों को इस ओलावृष्टी ने नष्ट कर दिया है। इससे जहां एक ओर प्रदेश की आर्थिकी में मुख्य भूमिका निभाने वाली सेब की फसल तथा साथ ही आड़ू, नाशपाती, खुमानी आदि को भारी नुकसान हुआ है वहीं दूसरी ओर चेरी की तैयार फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है।
इसी प्रकार से समतल क्षेत्रों सिरमौर के पांवटा, कांगड़ा के बैजनाथ में गेंहू की तैयार फसल ओलावृष्टी की चपेट में आने से पूरी तरह से नष्ट हो गयी है।

डॉ तंवर ने बताया कि ठियोग व कसुम्पटी क्षेत्र की दर्जन भर पंचायतों में किसानों की सप्ताह भर में तैयार होने वाली मटर, बंदगोभी, फूलगोभी आदि फसलों की भयंकर तबाही हुई है। डॉ तंवर ने कहा कि किसान सभा पिछले लंबे समय से ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों के मुआवजे की ब्रिटिश काल से चली आ रही दरों को वर्तमान बाजार कीमतों के आधार पर बढ़ाया जाय लेकिन अपने को किसान हितेषी बताने वाली न तो कोंग्रेस तथा न ही भाजपा ने इसमें कोई वृद्धि की है जबकि नुकसान किसानों को हो रहा है।

किसान सभा की मांगें
बर्बाद हुई फसलों का ठोस अवलोकन करके तुरंत मुआवजा तथा बर्बाद हुए दिनों की न्यूनतम मजदूरी के तौर पर किसानों के खाते में राशि डाली जाय।
लॉक डाउन खुलते ही मनरेगा के तहत दिनों की संख्या बढ़ाते हुए कम से कम 200 दिनों का काम व न्यूनतम 300 रुपये मजदूरी तय की जाय। ताकि किसान खेती के साथ मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर सके।
हिमाचल किसान सभा प्रदेश सरकार से यह भी मांग करती है कि तुरंत ही ओला प्रभावित क्षेत्रों में विशेष गिरदावरी करवा कर नुकसान का पूरा जायजा लिया जाय।
साथ ही इस महामारी के समय प्रभावित परिवारों को तीन माह का मुफ्त राशन दिया जाय।

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