विपक्ष का आपस में तालमेल नहीं, सब लोग नेता बनने की कोशिश में : मुख्यमंत्री


  • शिमला। सदन से विपक्ष के वॉकआउट के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अबकी बार मानसून सत्र में महत्वपूर्ण चर्चा होनी चाहिए। सत्र की अवधि को लंबा रखा गया है। पहले दिन से ही विपक्ष की परिस्थितियां ऐसी रहीं। विपक्ष का आपस में कोई तालमेल नहीं है। सब लोग नेता बनने की कोशिश में लगे हैं। इनके नेता के कहने से पहले ही पीछे से कोई खड़ा हो जाता है और कहता है कि वाकआउट करेंगे। वीरवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को नौकरियां न दिलाने, उनका शोषण करने और एससी, एसटी कंपोनेंट का पैसा नहीं खर्च करने के मुद्दे पर विपक्ष के वाकआउट की निंदा कर सीएम जयराम ठाकुर बोले कि यह पहली बार इतिहास बना है कि हमने नियम 67 में कोरोना वायरस पर पहले चर्चा की है। आमतौर पर एक ही गंभीर विषय और तात्कालिक गंभीर विषय पर ऐसी चर्चा होती है। यहां चार लोगों ने नोटिस दिए हैं। नोटिस का मजमून भी अलग-अलग है। दुर्भाग्यपूर्ण नीति है कि विपक्ष के नेता ने यह आदत बना दी है कि वह आसन के खिलाफ बोलते हैं। सदन की परंपरा रही है कि विधानसभा अध्यक्ष सीएम के कक्ष में नहीं जाते हैं। सीएम ही वहां जाते हैं। अब खिसियानी बिल्ली खंभा नोचने वाली बात हो गई है। यह इस सदन की परंपराओं और नियमों का अपमान हो रहा है। सदन से बाहर चले जाना इस तरह से सही नहीं है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि देश में अन्य विधानसभाओं की बैठकें तीन दिन से ज्यादा नहीं चलीं। विपक्ष के नेता खडे़ ही रह जाते हैं। जो नोटिस देते हैं, वही वाकआउट की बात करते हैं। इनका वाकआउट हिमाचल की जनता की आकांक्षाओं और आशाओं पर कुठाराघात है। लाखों रुपये प्रश्नकाल के लिए सवाल इकट्ठा करने में खर्च किए जाते हैं, उसकी ये लोग कोई परवाह नहीं करते हैं। स्पीकर विपिन सिंह परमार ने कहा कि सदन में हल्ला करने से लगता है कि विपक्ष पहले से ही इस बारे में मन बनाकर आया है। पिछले दिन विपक्ष के नेता पौना घंटा बैठकर उनके पास से चले गए। आठ सदस्य उनके चैंबर में बैठकर अपनी बातें रखकर गए। स्पीकर का कार्यालय चाहे सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का, सभी विषयों पर बात करता है। वह अलग-अलग प्रस्तावों पर सुझाव देते हैं। इस प्रकार का उल्लेख करना सरासर गलत है। विधानसभा के नियमों और मर्यादा का पालन करके ही यह सदन चलता है। बहुत से बिल आए हैं, उनको सुना गया। उन्हें यही कहना है कि इस प्रकार की बातों का जिक्र करना सही नहीं है। अगर इतने ही गंभीर हैं तो इसे तथ्यों के साथ यहां रखें।

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