जंगली जानवरों के आंतक से मनुष्य व फसलों को बचाने के लिए उठाए जाएं सकारात्मक पग -डॉ0 तंवर


शिमला । वन विभाग द्वारा हर वर्ष पहली से 7 अक्तूबर पर मनाए जाने वाले वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह पर हिमाचल प्रदेश किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ0 कुलदीप सिंह तंवर द्वारा वीरवार को जारी वक्तव्य में कहा है कि वन्य प्राणी विभाग  केवल वन्य जीव-जन्तुओं के सरंक्षण तक सीमित रह गया  है जबकि वनों में क्षमता से अधिक जीवजंतु होने स्थिति में विभाग के पास जानवरों को नियंत्रण व पुर्नस्थापन करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है ।  जानवर जंगलों से निकलकर आबादी क्षेत्र में भारी संख्या में प्रवेश कर रहे है जोकि फसलों का नुकसान करने के अतिरिक्त  मानव जीवन के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं । इस बारे विभाग को गहनता से विचार करना होगा तभी वन्य प्राणी सप्ताह का उददेश्य सार्थक सिद्ध होगा ।
डॉ0 तंवर ने कहा कि जंगली जानवरों के आतंक से मानव जीवन और फसलों के सरंक्षण के लिए सरकार को सकारात्मक पग उठाए जाने चाहिए। इस समस्या के  वैज्ञानिक तौर पर प्रबंधन करने के लिए शहरी और ग्रामीण विकास विभाग को नोडल एजेंसी घोषित किया जाए और इनके साथ  कृषि व बागवानी विभाग को भी जोड़ा जाए क्योंकि यह सभी विभाग सीधे तौर पर किसानों से जुड़े हैं ।  कहा कि हिमाचल किसान सभा द्वारा 15 वर्ष के संघर्ष के उपरंात प्रदेश में बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है परंतु इस दिशा में सरकार द्वारा कोई प्रभावी पग नहीं उठाए गए है और बंदरों, जंगली सूअरों के आंतक के कारण किसानों द्वारा फसलों को बीजना भी बंद कर दिया है जिससे प्रदेश की सैंकड़ों बीघा भूमि बंजर हो गई है ।
डॉ0 तंवर ने कहा कि जंगलों में कंदमूल व फल के अभाव में जानवर किसानों की फसलों को तबाह कर रहे हैं । विशेषकर बाघ व बंदर ग्रामीण परिवेश में  बुजुर्गों और बच्चों के लिए सबसे ज्यादा मुसीबत बन गए  है । इसी प्रकार शहरों में बंदरों के आतंक से लोगों का जीना हराम हो गया है । कहा कि जंगली जानवरों द्वारा अनेकों बार पालतु पशुओं का अपना आहार बना लिया जाता है जिसके एवज में वन विभाग द्वारा किसान को  जो मुआवजा दिया जाता है वह ऊंट के मुंह में जीरे वाली बात है । उन्होने सरकार से मुआवजा राशि को दोगुना करने की मांग भी की है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *