मंडी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह संसदीय क्षेत्र मंडी से लोक सभा उप चुनाव में कांग्रेस के लिए जीत की राह फिलहाल आसान दिखती नजर नहीं आ रही है। प्रदेश की राजनीति में 60 साल तक शिखर पर एक छत्र राज करने वाले कांग्रेस दिग्गज रहे पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की धर्म पत्नी प्रतिभा सिंह ने शुक्रवार को मंडी संसदीय क्षेत्र से लोक सभा उप चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इसके बाद कई विधानसभा क्षेत्रों से मंडी पहुंचे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए सेरी मंच में एक कार्यक्रम रखा गया था। इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के कई बड़े पदाधिकारियों सहित विधायक भी नामांकन में पहुंचे थे, लेकिन इस दौरान पीसीसी महासचिव एवम मंडी संसदीय क्षेत्र से लोक सभा चुनाव में वर्ष 2019 में रहे प्रत्याशी आश्रय शर्मा मंच पर नजर नहीं आए। आश्रय शर्मा मंडी के दिग्गज नेता एवम पूर्व केंद्रीय राज्य संचार मंत्री पंडित सुखराम के पोते हैं। जिनका मंडी की राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। आश्रय शर्मा इस बार भी मंडी संसदीय क्षेत्र से लोक सभा उप चुनाव लड़ने के लिए दावेदार थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने प्रतिभा सिंह पर जीत का भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में प्रतिभा सिंह के नामांकन पत्र दाखिल करने के दिन सेरी मंच पर आश्रय शर्मा के उपस्थित न रहने के सियासी गलियारों में कई मतलब निकाले जा रहे हैं। हाईकमान ने मंडी संसदीय क्षेत्र के लिए 12 ऑब्जरवरों की जो सूची जारी की है, उसमें 12 वें नंबर पर आश्रय शर्मा का नाम भी शामिल है। ऐसे में दो दिग्गज परिवारों के बीच की दूरी उप चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकती है। आने वाले समय मे कांग्रेस में किस तरह के राजनीतिक हालात बनते हैं, ये अभी भविष्य के गर्भ में है। हालांकि आश्रय शर्मा ने प्रेस को ब्यान जारी करते हुए अपने को कांग्रेस के साथ बताया है। उन्होंने सेरी मंच से पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने अपने संबोधन में मंडी जिला से जयराम ठाकुर को एक्सीडेंटली पहला मुख्यमंत्री बताए की जो बात कही है, इस पर भी उन्होंने पूर्व मंत्री पर भी निशाना साधा है। आश्रय शर्मा ने कहा है कि अगर कौल सिंह ठाकुर ने पंडित सुखराम का साथ दिया होता तो मंडी जिला को वर्षों पहले मुख्यमंत्री पद का गौरव प्राप्त हो गया होता। उन्होंने कहा कि कौल सिंह ठाकुर कह रहे हैं 2019 के लोकसभा चुनावों में वे कांग्रेस के कमजोर प्रत्याशी थे। लेकिन कौल सिंह ठाकुर ये बताएं कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र द्रंग से कांग्रेस को कितनी बढ़त दिलाई थी। कांग्रेस पार्टी ने चुनावों मे जीत दर्ज न करने वालों को जो दोबारा मौका न देने का नया नियम बनाया है। वो वर्ष 2017 में विधान सभा चुनाव हार चुके कौल सिंह ठाकुर और उनकी बेटी चंपा ठाकुर पर भी लागू होना चाहिए। ऐसे में मंडी में ही कांग्रेस पार्टी में दो प्रमुख नेताओं में आपसी मतभेद सामने आए हैं यह भी पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं है। देखने योग्य होगा कि कांग्रेस पार्टी उपचुनाव को एकजुटता से लड़ने के लिए क्या प्रयास करती है।