हिमाचल में हुई बारिश और बर्फबारी किसानों और बगवानों के लिए संजीवनी

शिमला। ढाई महीने के सूखे के बाद बर्फबारी और बारिश के तुरंत बाद किसानों, बागवानों को बिजाई और बगीचों का प्रबंधन तुरंत न करने की विशेषज्ञों ने सलाह दी है। जिन क्षेत्रों में बर्फबारी ज्यादा हुई है, वहां बागवानों को अधिक सचेत रहने की सलाह दी गई है। अगर पेड़ों पर बर्फ ज्यादा टिकी है तो उसे डंडे की सहायता से तुरंत झाड़ना होगा ताकि पेड़ों को नुकसान होने से बचाया जा सके। बर्फबारी और बारिश से तापमान एकदम नीचे जाने से वूली एफिड, माइट,  कैंकर आदि से भी निजात मिलेगी। डॉ. एसपी भारद्वाज ने कहा कि बारिश और बर्फबारी बागवानी क्षेत्र के लिए लाभकारी है।नवंबर की बर्फ ज्यादा समय तक टिकती है। इस कारण से बागवानों को चाहिए कि वह डंडे की मदद से फलदार पेड़ों को हिलाकर बर्फ बगीचों में गिरा दें। बागवान तौलियों से घास निकलाकर तौलियों में मल्चिंग कर लें। ऐसा करने से बगीचों में लंबे समय तक नमी बरकरार रहेगी।

उनका कहना है कि जिन बागवानों ने पेड़ों पर चूना और नीले थोथे का लेप नहीं लगाया है, वह भी यह काम पूरा कर लें। इसके अलावा बागवानों को फिलहाल कुछ और नहीं करने की सलाह दी गई है। उनका कहना है कि तापमान एकदम नीचे आने से माइट, कैंकर, वूली एफिड से स्वयं ही निजात मिल जाएगी और किसी भी प्रकार के स्प्रे करने से बचें।  राज्य के कृषि निदेशक नरेश कुमार बधान ने कहा कि बारिश के तुरंत बाद रबी फसलों की बिजाई से किसान बचें। किसानों को बारिश के बाद थोड़ी धूप का इंतजार करना होगा। जब तापमान न कम और न ज्यादा (बत्तर) होने पर ही रबी फसलों खासकर गेहूं, जो, दालों और सब्जियों की बिजाई करें। ऐसा करने से फसलों को उगने को काफी मदद मिलती है।

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