शैविक शर्मा की संस्कृत नाटी यूट्यूब पर रिलीज : संस्कृत महाविद्यालय फागली के प्राचार्य डाॅ मुकेश शर्मा सहित अन्य प्राध्यापकों ने किया विमोचन

शिमला। हिमाचल की लोक संस्कृति भारत ही नहीं अपितु विश्व भर में देव परंपराओं व लोकगीतों के लिए प्रसिद्ध है। संस्कृत भाषा की अत्यंत प्रसिद्ध उक्ति है कि “भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिः तथा “: इस उक्ति को ध्यान में रखते हुए हिमाचली संस्कृति को संस्कृत से जोड़ते हुए पहाड़ी संस्कृत नाटी का निर्माण किया गया है। बता दें कि यूट्यूब पर “वदनं किन्निरीक्षसे मुकुरे” नाम से संस्कृत नाटी को रिलीज किया गया है। इसे शैविक शर्मा के द्वारा स्वर और संगीत से सजाया गया है। संस्कृत की इस नाटी को श्री केवल वशिष्ठ जी के द्वारा लिखा गया तथा श्री हीरा सिंह जी के द्वारा इसकी स्वर रचना की गई है। संस्कृत भाषा व हिमाचली संस्कृति का परिचय देने वाले इस गीत को The Seven Magical Keys Records के बैनर तले रविवार को रिलीज किया गया। बता दें कि इस गीत का आधिकारिक विमोचन सोमवार को राजकीय संस्कृत महाविद्यालय फागली परिसर के प्राचार्य डॉ मुकेश शर्मा सहित अन्य सभी प्राध्यापकों के द्वारा किया गया। इस गीत के गायक व संगीतकार शैविक शर्मा इसी महाविद्यालय के पूर्व छात्र हैं तथा इससे पूर्व भी संस्कृत के कई गीत गा चुके हैं ।

प्राचार्य डॉ मुकेश शर्मा ने किया विमोचन:
संस्कृत नाटी का विमोचन करते हुए डॉ मुकेश शर्मा ने बधाई देते हुए कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार व प्रसार के लिए इस तरह का कार्य अति प्रशंसनीय है इस तरह के कार्य भविष्य में लगातार होते रहने चाहिए । उन्होंने कहा कि यह गीत न केवल संस्कृत का प्रचार कर रहा है अपितु हिमाचल की संस्कृति को संस्कृत भाषा से जोड़ने का कार्य भी कर रहा है। इस दौरान महाविद्यालय का समस्त प्राध्यापकवर्ग जिसमें व्याकरणाचार्य डॉ अजय भारद्वाज, ज्योतिषाचार्य डॉ सुनील शर्मा, रोहिणी चौहान ,पूजा कश्यप, वेदप्रकाश, टीकाराम व गाथेश्वर कुमार शर्मा उपस्थित रहे। सभी प्राध्यापकों ने बधाई व आशीर्वाद देते हुए कहा कि यह अत्यंत सराहनीय व सुंदर कार्य है व संस्कृत भाषा हेतु इस तरह के कार्य होते रहने चाहिए।

पहाड़ी संस्कृत नाटी लोगो को कर रही है आकर्षित:

संस्कृत में पहाड़ी तर्ज पर गीत बनाना आम तौर पर क्लिष्ट होता है, इसीकारण इस तरह के अलग कार्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। शैविक शर्मा ने बताया कि इस गीत को अभी तक यूट्यूब पर 1.3k से अधिक लोगों ने सुन लिया गया है । यह गीत संस्कृत प्रेमियों को तो पसंद आ ही रहा है साथ ही साथ यह गीत अन्य लोगो के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है । इस तरह के कार्य भविष्य में निरंतर जारी रहेंगे।

 

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