अखिल भारतीय आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हैल्परज़ फेडरेशन के आह्वान पर प्रदेश आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हेल्परज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू 26 नवम्बर 2020 को एक दिवसीय हड़ताल करेगी। इस दौरान प्रदेश के लगभग साढ़े अठारह हज़ार केंद्रों में कार्यरत लगभग 37 हज़ार आंगनबाड़ी कर्मी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखेंगी और सड़कों पर उतरकर सरकारी कर्मचारी के दर्जे के लिए आंदोलन करेंगे। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालयों, ब्लॉक मुख्यालयों सहित शिमला, रामपुर, रोहड़ू, सोलन, अर्की, नालागढ़, नाहन, शिलाई, सराहन, संगड़ाह, मंडी, जोगिन्दरनगर, सरकाघाट, सुंदरनगर, करसोग, कुल्लू, बंजार, आनी, बिलासपुर, हमीरपुर, नादौन, रैत, शाहपुर, नगरोटा सूरियां, धर्मशाला, पालमपुर, बैजनाथ, लम्बगांव, चम्बा, चुवाड़ी, ऊना, अंब, गगरेट, सन्तोषगढ़ आदि स्थानों पर योजनकर्मी जबरदस्त प्रदर्शन करेंगे।
आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हेल्परज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की प्रदेशाध्यक्ष नीलम जसवाल, महासचिव राजकुमारी, उपाध्यक्षा सुमित्रा देवी आदि कई महिलाओं ने केंद्र और प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आईसीडीएस का निजीकरण किया गया और आंगनबाड़ी वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित न किया गया तो देशव्यापी आंदोलन और तेज़ होगा। उन्होंने नई शिक्षा नीति को वापिस लेने की मांग की है क्योंकि यह न केवल छात्र विरोधी है अपितु आइसीडीएस विरोधी भी है। नई शिक्षा नीति में वास्तव में आइसीडीएस के निजीकरण का छिपा हुआ एजेंडा है। इस से भविष्य में कर्मियों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ेगा। उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार को साफ शब्दों में चेताया है कि कोरोना महामारी के दौर में कोरोना मैपिंग के लिए आंगनबाड़ी कर्मियों को प्रताड़ित करना बन्द करें।
उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों से अपील की है कि वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल सरकार के कोरोना डयूटी के आदेशों का बहिष्कार करें। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि बिना किसी बीमा योजना, बिना कोविड वारियर के दर्जे और बिना किसी उचित सुविधा के आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकार जान बूझकर मौत के मुंह में धकेल रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह संवेदनहीनता और तानाशाही की चरम सीमा है। उन्होंने केंद्र सरकार से साल 2013 में हुए 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए पेंशन, ग्रेच्युटी, मेडिकल और छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है।
उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया है कि वह आइसीडीएस के निजीकरण का ख्याली पुलाव बनाना बन्द करे। देश के अंदर चलने वाली सभी योजनाओं से देश की लगभग एक करोड़ महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने हैरानी जताई है कि रोज़गार में लगी महिलाओं की सबसे ज़्यादा संख्या योजनाकर्मियों के रूप में है और यह सरकार उनका सबसे ज़्यादा आर्थिक शोषण कर रही है। केंद्र सरकार लगातार इन योजनाओं को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है। इस से केंद्र सरकार की महिला सशक्तिकरण और नारी उत्थान के नारों की पोल खुल रही है। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को साल 2013 का नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत बकाया राशि का भुगतान तुरन्त करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि प्री नर्सर्री कक्षाओं और नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा आंगनबाड़ी वर्करज़ को दिया जाए क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं। इसकी एवज़ में उनका वेतन बढाया जाए व उन्हें नियमित किया जाए।