स्पिति घाटी के किसानों को कृषिवानिकी का दिया गया प्रशिक्षण

डॉ यशवन्त सिंह परमार औद्योनिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के लाहौल-स्पिति स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, ताबो के वैज्ञानिकों द्वारा दो एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन स्पिति घाटी के हिक्कम एवं रंगरीक गांव में किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, ताबो के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केंद्राध्यक्ष डॉ सुधीर वर्मा ने अपने संबोधन में केन्द्र की विभिन्न गतिविधियों के बारे में किसानों को अवगत करवाया तथा किसानों को कृषि की नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इन प्रशिक्षण शिविरों में केन्द्र के वैज्ञानिकों डॉ नवजोत सिंह कलेर (कृषिवानिकी विशेषज्ञ) एवं डॉ उपेन्द्र शर्मा (मृदा विशेषज्ञ) ने आए हुए किसानों को कृषिवानिकी के महत्त्व, कृषिवानिकी के पौधों को लगाने की तकनीक एवं प्रबंधन, कृषिवानिकी में लगाए जाने वाली फसलों एवं वानिकी के पौधों और उनकी उन्नत किस्मों, कृषि वानिकी में मिट्टी का महत्त्व, मिट्टी परिक्षण के मुख्य उद्देश्य व लाभ, मिट्टी का नमूना लेने की विधि, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति के प्रबंधन तथा सिंचाई जल के प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। इन शिविरों में आत्मा परियोजना के खंड तकनिकी प्रबंधक श्रीमती सुजाता नेगी ने भी भाग लिया एवं किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में भी जानकारी दी। प्रत्येक प्रशिक्षण शिविर में 25 किसानों/महिला किसानों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। प्रशिक्षण शिविरों के अंत में वैज्ञानिकों द्वारा किसानों समस्याओं का समाधान मौके पर किया गया। इन प्रशिक्षण शिविरों का मुख्य उद्देश्य स्पिति घाटी के किसानों को कृषि वानिकी के लिए प्रेरित करना तथा वैज्ञानिक तरीके से खेती करना था जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके।

 

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