पाँच सांझा वन समितियों ने मिलकर मनाया बाण बाणोंनी जंगल में वन महोत्सव

Share

\"\"

करसोग। उपमंडल करसोग के अंतर्गत आने वाले गांव भयाल, सानना, बाग सालाना, कनि मंदलाह, ममेल की सांझा वन समितियों ने मिलकर ऐतिहासिक जंगल बाण बाणोंनी में वन महोत्सव मनाया गया। इस कार्यक्रम में दर्जनों महिलाओं ने भाग किया और पेड़ पौधे लगाकर जंगल को बचाने का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम में लोक कृषि वैज्ञानिक नेकराम शर्मा ने विलुप्त होते अनाज कोदरा और कवनि के व्यंजन बनाकर लोगों को न केवल खिलाये बल्कि बनाने का प्रशिक्षण भी दिया। स्थानीय महिलाओं के सहयोग से कोदरा का अद्भुत पेय और कवनि का हलवा बना कर खिलाया गया।

ज्ञात रहे कि बाण बाणोंनी जंगल का इस इलाके के लिए ऐतिहासिक महत्व रहा है। इस मे पहले केवल देवदारऔर बान के पेड़ होते ते लेकिन सरकार की वनों को व्यापारिक उत्पादन में बदलने की नीति से वह विलुप्त हो गए थे। भयाल नरसिंह मंदिर के पुजारी ने बताया कि सांझा वन कमेटियों, पूर्व वन मंडल अधिकारी और नेकराम शर्मा के सहयोग से 10 साल पहले जो कोशिश हुई उसकी बदौलत आज फिर यह जंगल देवदार और बान का जंगल हो गया है। इसी जंगल से ममलेश्वर मंदिर के धुने के लिए लकड़ी जाती थी।

कार्यक्रम में करसोग वन मंडल अधिकारी वासु डोगरा ने भाग लिया। उन्होंने करसोग में वनों को बचाने में करसोग की महिलाओं अहम योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि जितनी भागेदारी करसोग की महिला करती हैं उतनी भागेदारी उन्होंने ने नही देखी है। उन्होंने सांझा वन कमेटियों की भूमिका को भी बखूबी लोगों को बताया और कहा कि जंगल विभाग और वन कमेटियों को मिलकर जंगल को बचाना है। जंगल के असली मालिक जनता है।

कार्यक्रम में वनमंडल आधिकारी करसोग वासु डोगर, बीओ पुष्पा, वन रक्षक उत्तम, नगर पंचायत करसोग उप अध्यक्ष, वरिष्ठ समाज सेवी बंसीलाल कौंडल, सांझा वन कमेटियों से जसवंत, तेजेन्दर, नीलम, मुखता, संजीवना, कली आदि ने भाग लिया।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *