अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत की: राज्यपाल

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शिमला। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर आज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला द्वारा आयोजित पुण्य स्मरण कार्यक्रम में राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देशभक्ति की भावना को जागृत किया है और इस प्रकार के देशभक्ति के गुणों को याद रखना अत्यंत आवश्यक है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी उनके आदर्शों से शिक्षा ले सकें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके विचारों को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधित्व या पोखरण विस्फोट, अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया को हर मोर्चे पर अपनी शक्ति का आभास करवाया। उन्होंने विश्व भर में देश की संस्कृति, सभ्यता और उच्च परम्पराओं के आदर्श स्थापित किए।
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       उन्होंने कहा कि वह आधुनिक युग के भागीरथ थे, जिन्होंने नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं के माध्यम से देश को सूखे और बाढ़ की समस्या से निजात दिलाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि भारत की प्रसिद्ध राजमार्ग परियोजना स्वर्णिम चतुर्भुज अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गई थी, जो कई औद्योगिक, सांस्कृतिक और कृषि क्षेत्रों को जोड़ती है।
       राज्यपाल ने कहा कि अटल जी का जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि उनका मानना था कि शासन लोगों के लिए होता है। उन्होंने हमारी विदेश नीति को सही मायनों में गुट निरपेक्षता पर केंद्रित किया था।

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       उन्होंने कहा कि वह एक उदारवादी नेता थे और उन्होंने जीवन में उच्च मूल्यों को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने एक दुनिया में सर्वसम्मत नेता के रूप में अपनी विशेष पहचान बनाई। वह कई वर्षों तक विपक्ष में रहे और उन्होंने सरकार के जन विरोधी फैसलों का विरोध किया और जनहित में कई रचनात्मक सुझाव दिए। उन्होंने सरकार के अच्छे कार्यों की सराहना भी की। वह अपने भाषणों से करोड़ों लोगों को सम्मोहित कर देते थे और उनकी विचारधारा गहन राष्ट्रवादी थी, जिसने करोड़ों लोगों को देशभक्ति के लिए पे्ररित किया। वह अपने भाषणों में कहा करते थे कि यह देश केवल जमीन का एक टुकड़ा नहीं है, बल्कि एक जीवित राष्ट्र है।
       इससे पूर्व राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
       इस अवसर पर शिक्षा मंत्री, गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी को हिमाचल से विशेष स्नेह था। अटल सुरंग उनकी ही देन है और जिला कुल्लू के प्रीणी से सम्बन्धित उनकी यादें हमेशा लोगों की स्मृति में रहेंगी। वह अपने पुराने मित्रों को कभी नहीं भूले। उन्होंने वाजपेयी जी के लाहौल-स्पीति के गरंप थेलंग निवासी अर्जुन गोपाल और उनके पिता कंुज लाल ठाकुर के साथ वाजपेयी जी के सम्बन्धों को भी याद किया।
श्री ठाकुर ने कहा कि श्री अटल उच्च व्यक्तित्व और कोमल ह्दय वाले आदर्श नेता थे। उन्होंने कहा कि शासक और शासन के बीच किस प्रकार का सामंजस्य होना चाहिए, यह अटल जी के जीवन से सीखा जा सकता है। उनकी शिक्षा क्षेत्र में विशेष रूचि थी और उनके आदर्श राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में सहायक होंगे।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि एवं भाजपा के महासचिव पवन राणा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने राजनैतिक विचारधारा से ऊपर उठकर राष्ट्रहित के लिए कार्य किया। उन्होंने कहा कि वह प्रगतिशील विचारधारा के व्यक्ति थे, जिन्होंने देश की नदियों और सड़कों से जोड़ने का प्रयास किया। देश को परमाणु शक्ति बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है और आज हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें तीन बार अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वह एक शिक्षाविद् होने के साथ-साथ एक अच्छे वक्ता भी थे। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में श्री अटल जी द्वारा देश के लिए किए गए योगदान को याद किया और कहा कि ऐसे महान व्यक्तित्व की स्मृति में सभी के सहयोग से विश्वविद्यालय परिसर में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है ताकि युवा पीढ़ी को सदैव उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा प्राप्त हो सके।
रजिस्ट्रार सुनील शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर प्रोफेसर अरविंद कालिया, अधिष्ठाता अध्ययन, अन्य अधिष्ठाता, निदेशक और प्रोफेसर भी उपस्थित थे।

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