देश की मंडियों में फीकी रही सेब की मिठास, मौसम ने बिगाड़ा काम, बागवानों को रेट भी मिला कम

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करसोग। करसोग में सेब सीजन अब करीब करीब समाप्त हो गया है। यहां सेब कारोबार की बात की जाए तो बागवानों के हाथ निराशा ही लगी है। मौसम की बेरुखी ने इस बार काम ही बिगाड़ दिया है। जिससे देश भर की बड़ी मंडियों में करसोग के सेब की मिठास फीकी रह गई। करसोग में इस बार 6 लाख से अधिक सेब की पेटियां होने का अनुमान लगाया था, लेकिन मई और जून में अधिकतर क्षेत्रों में हुई ओलावृष्टि से सेब कारोबार को करोड़ों की चपत लग गई। सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक ओलावृष्टि से सेब को 12 करोड़ का नुकसान हुआ है। इसका असर उत्पादन पर भी पड़ा है। इसके अलावा ओलावृष्टि से बागवानों को सेब की कीमत भी कम मिली है। बागवानी विभाग को प्राप्त हुई रिपोर्ट के मुताबिक इस बार करसोग में करीब 4 लाख पेटियां सेब उत्पादन रह सकता है। जो अनुमान से करीब 2 लाख कम होगा। विभाग को अभी 3.50 लाख सेब की पेटियां मंडियों में भेजे जाने की रिपोर्ट प्राप्त ही चुकी है। इसके मुताबिक करसोग के सेब का मंडियों में इस बार औसत रेट 800 से 1000 रुपए प्रति पेटी रहा। पिछली साल मंडियों में सेब का यही औसत रेट 1800 रुपये प्रति पेटी रहा था। कई जगहों पर तो सेब अधिक जख्मी होने के कारण मंडियों में ही नहीं भेजा जा सका। जो सेब मंडियों में पहुंचा उसके भी बागवानों को कम कीमत मिली। ऐसे में ओलावृष्टि ने किसानों को काफी अधिक गहरे जख्म दिए हैं। जिससे बागवानों को सेब पर किया गया खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है।

बागवानी विकास अधिकारी चमेली नेगी का कहना है कि इस बार ओलावृष्टि से सेब को काफी अधिक नुकसान पहुंचा है। जिसका सीधा असर सेब के उत्पादन और कीमत पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि करसोग में ओलावृष्टि से सेब को करीब 12 करोड़ का नुकसान हुआ है। जिसकी रिपोर्ट पहले ही सरकार को भेजी जा चुकी है।

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