युवाओं को नई दिशा प्रदान करना है पंचायत में ज्ञान केन्द्र की स्थापना का उद्देश्य

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डीसी से प्रेरित होकर रोहित धामी ने पंचायत में स्थापित कर दिया आदर्श पुस्तकालय
कुल्लू। कुल्लू जिला की गाहर ग्राम पंचायत के प्रधान रोहित वत्स धामी ने अपनी पंचायत में एक भव्य ज्ञान केन्द्र (पुस्तकालय) की स्थापना करके क्षेत्र के युवाओं के लिये एक नई दिशा प्रदान करने का आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने पंचायत घर में ही एक खुले स्थान पर लगभग 11 लाख रुपये की लागत से एक शानदार पुस्तकालय का निर्माण किया है। धन का प्रावधान 14वें वित्तायोग के ब्याज तथा कन्वर्जेन्स के माध्यम से किया गया है। शुरूआती दौर में ज्ञान केन्द्र में उन्होंने निजी तौर पर तथा स्थानीय निधि से पुस्तकें उपलब्ध करवाई हैं।

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पुस्तकालय का निर्माण इस ढंग से करवाया गया है जिससे पाठकों के लिये आस-पास के वातावरण से किसी प्रकार की अशांति की संभावना न रहे। पाठन के लिये पूरी तरह से अनुकूल माहौल तथा सभी मूलभूत सुविधाओं को प्रदान करने का प्रयास किया गया है। इस केन्द्र में लगभग 30 लोगों के बैठने की व्यवस्था रहेगी। वह बताते हैं कि ज्ञान केन्द्र में ग्राम पंचायत के अलावा दूसरी जगहों से भी लोग पढ़ने के लिये आ रहे हैं। राहित धामी ने ज्ञान केन्द्र में प्रवेश के लिये एक नामांकन फार्म उपलब्ध करवाया है जिसमें शिक्षार्थी अथवा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं का पूरा विवरण दर्ज किया जा रहा है। पाठकों की प्रतिक्रिया अथवा सुझाव प्राप्त करने का भी प्रावधान किया गया है।

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रोहित धामी बताते हैं कि वह उपायुक्त आशुतोष गर्ग की जिला में ज्ञान केन्द्रों की स्थापना की पहल से काफी प्रभावित हैं और उनकी प्रेरणा से गाहर पंचायत में उन्होंने पुस्तकालय का निर्माण करवाया। बीते दिनों ज्ञान केन्द्र का उद्घाटन भी उपायुक्त से करवाया गया। उल्लेखनीय है कि बीते 25 दिसम्बर को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री ने प्रीणी में प्रथम ज्ञान केन्द्र का लोकार्पण किया था। मुख्यमंत्री ने डीसी कुल्लू की इस पहल की सराहना करते हुए इस प्रकार के ज्ञान केन्द्रों की प्रदेश के दूसरे जिलों में स्थापना करने की भी बात कही थी।
गाहर पंचायत के इस ज्ञान केन्द्र में लोगों की रूचि और विशेषकर बच्चों के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से संबंधित पुस्तकें उपलब्ध करवाई जा रही है। पूर्व प्रधान चुनी लाल तथा कारदार संघ के प्रधान दोते राम पुस्तकालय के लिये योगदान कर रहे हैं। इनके अलावा, काईस मोनास्ट्री पुस्तकें भेंट करने के लिये आगे आई है। चरणबद्ध ढंग से ज्ञान केन्द्र में सभी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकें बच्चों के लिये उपलब्ध करवाई जाएगी।
आदर्श ज्ञान केन्द्र खोलने की अवधारणा पर राहित धामी बताते हैं कि कोविड-19 के दौर में शिक्षा से लेकर कार्यालय कार्यों के निष्पादन तक अधिकांश गतिविधियों को ऑन-लाइन बनाने की अवधारणा उत्पन्न हुई है। शिक्षण का कार्य पूरी तरह से ऑन-लाइन व्यवस्था पर निर्भर हो गया। जिला की भौगोलिक स्थितियों के चलते बहुत से गांवों में इण्टरनेट की सुगम कनेक्टिविटी न होने के कारण विद्यार्थियों को अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। गांव के कुछ लोग अपने बच्चों के लिये अच्छे मोबाइल फोन खरीदने में असमर्थ थे और यदि जैसे-तैसे मोबाइल की व्यवस्था हो भी गई तो इंटरनेट का अच्छा पैकेज बच्चों को उपलब्ध नहीं करवा पाए। यही परिस्थितियां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं ने भी झेली। शहर में पुस्तकालय बंद पड़े है या फिर गांव के सभी युवक अध्ययन के लिये शहरों में नहीं जा पाते।
ज्ञान केन्द्र खुलने से युवाओं को उनके घर-द्वार के समीप इंटरनेट सुविधा से लैस एक ऐसे पुस्तकालय की उपलब्ध हुआ है जहां पर प्रतियोगी परीक्षाओं सहित सभी आयुवर्ग के लोगों अपनी रूचि की पुस्तकें पढ़ने के लिये एक उपयुक्त मंच मिला है। गरीब छात्रों के लिये सुगम व निःशुल्क पाठन सामग्री की उपलब्धता इस केन्द्र में करवाई जा रही है। इसके अतिरिक्त, युवाओं को नशे जैसी सामाजिक बुराईयों से दूर रखने तथा उनमें पढ़ने की आदत को विकसित करना भी उनकी सोच रही है।
ज्ञान केन्द्र में चौबीस घण्टे बिजली की सुचारू आपूर्ति तथा विद्यार्थियों के लिये पर्याप्त चार्जिंग प्वांईट उपलब्ध करवाने की व्यवस्था ग्राम पंचायत अपनी निधि से करेगी। भविष्य में सौर पैनेल की संभावना को भी तलाशा जाएगा। बिजली का बिल वित्तयोग अथवा दान में से वहन किया जाएगा।
ज्ञान केन्द्र को लेकर क्या है युवाओं की प्रतिक्रिया
सेऊबाग की प्रिया विष्ट ने उनकी पंचायत में ज्ञान केन्द्र खोले जाने पर अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि उन्होंने स्नातक की परीक्षा पास की है।  कोरोना के चलते प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में कठिनाई आ रही थी, लेकिन गांव में पुस्तकालय खुलने से अब उन्हें काफी सुविधा मिली है। पुस्तकें भी नहीं खरीदनी पड़ेंगी और शहर में जान की भी जरूरत नहीं रहेगी। वह हर रोज दो से तीन घण्टे इस ज्ञान केन्द्र में अध्ययन कर रही है।
गौरव उपाध्याय का कहना है कि उन्हें ज्ञानवर्धक व प्रतियोगी पुस्तकें पढ़ने का शौक है जो निश्चित तौर पर अब घर-द्वार के समीप पुरा हुआ है। ज्ञान केन्द्र में पढ़ने के लिये उपयुक्त माहौल है और देर रात तक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की जा सकती है।

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