केलांग। पशुपालन के उपनिदेशक, केलांग, डॉ अमिताभ ठाकुर ने बीमारी से मर रहे भेड़ बकरियों के बारे में सूचना मिलते ही टीम का गठन कर उन्हे दिशा निर्देश देकर फौरन रवाना किया। हडसर चारागाह में पशुओं में पीपीआर के प्रकोप को देखने के लिए वेटेरनरी डॉक्टर अनुराग ने अपनी टीम, फार्मासिस्ट कैलाश और देवराज, पशु पालन परिचारक हीरा लाल एवं हीरा सिंह के साथ 16 किलोमीटर तक ट्रेक किया।
हडसर चारागाह, जो पहाड़ों के बीच में बसा हुआ है, गर्मियों के महीनों में अपनी प्राकृतिक सौंदर्य और गोंदाओं के लिए प्रसिद्ध होता है। हालांकि, यहां से गुजर रहे गद्दी जनजाति के लोगों के लिए एक चुनौती पैदा हो गई थी, जब उनके पशुओं में पीपीआर नामक रोग का प्रकोप हुआ। इस रोग के कारण, भेड़ों और बकरियों की मौत होने लग गई और इससे आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा था।
गद्दी समुदाय के घुमंतु भेद बकरी पलकों के पशुओं स्वास्थ्य को मदद करने के लिए, वेटेरनरी डॉक्टर अनुराग की टीम ने तत्परता के साथ काम करते हुए निर्धारित गांव के दिशानिर्देशों का पालन किया। यह ट्रेक 16 किलोमीटर (आना जाना) लंबा था और आने जाने में 7 घंटे का समय लगता है।
चारागाह में समस्या का जायज़ा, दवाओं, और चिकित्सा सामग्री को पहुंचाने के लिए पूरी टीम हडसर गई। टीम के एक सदस्य ने बताया कि वहां तक पहुंचना बहुत चुनौतीपूर्ण था, टीम को बिना रास्ते वाले जंगल में चढ़ कर, नदी नालों को पर करके जाना पड़ा। इसे अलावा जंगली जानवरों का खतरा तो हमेशा ही बना रहता है।
हडसर पहुंचते ही, डॉक्टर अनुराग और उनकी टीम ने पशुओं के साथ जांच की शुरुआत की और इस रोग के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए उचित उपायों की सलाह दी एवं बीमार पशुओं का उपचार भी किया। इसके साथ ही, वे गद्दी लोगों को इस रोग के बारे में जागरूक कर रहे हैं और इसे रोकने के लिए सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षा भी दे रहे हैं।
डॉक्टर अनुराग ने बताया, “हम पशुओं में पीपीआर के प्रकोप को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं। हमारा मुख्य ध्यान उन पशुओं को बचाने के लिए है, जिनकी स्वास्थ्य खतरे में है। हम पशुपालकों को इस रोग के बारे में जागरूक कर रहे हैं ताकि वे सुरक्षा के उपायों को समझें और इसकी रोकथाम कर सकें।”
इस अद्भुत प्रयास के लिए वेटेरनरी डॉक्टर अनुराग और उनकी टीम को गद्दी समुदाय की ओर से गहरी सराहना मिली है। पशुपालन विभाग की तरफ से आई टीम पिछले तीन दिनों से समर्पित सेवा देने के लिए तिंदी में ही रह रही है।
पशुपालन विभाग और उनकी टीम के इस योगदान के लिए हम सभी उन्हें हृदय से धन्यवाद देते हैं और उनके इस समर्पण को सलाम करते हैं।