आइस क्लाइम्बिंग के जरिये लाहौल में ग्रामीण पर्यटन को संजीवनी मिलेगी

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शीत मरुस्थल बन चुके लाहौल घाटी में विंटर टूरिज्म की संभावना बढ़ गयी है, वहीं अटल टनल रोहतांग के खुल जाने से घाटी में साहासिक स्नो फेस्टिवल खेलों एवं साहासिक पर्यटन की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। बता दें कि ‘स्नो फ़ेस्टिवल’ से घाटी में शीतकालीन साहासिक खेलों की संभावनाओं को तलाश करने के लिए घाटी के पर्यटन व्यवसायियों के प्रयास से साहसिक पर्यटन को उभारने के लिये एक पर्वतारोही विशेषज्ञ टीम ‘आईस क्लाईबिंग’ की संभावनाओं को तलाशने के लिए लाहौल घाटी पहुँची है और घाटी में ‘आईस क्लाइम्बिंग’ की जगह चिन्हित कर रहे है। साथ ही ये लोग ‘आइस क्लाइम्बिंग’ कर के युवाओं को भी इस ओर व्यावसायिक तौर पर कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहे है।

आइस क्लाइम्बिंग के जरिये लाहौल में ग्रामीण पर्यटन को संजीवनी मिलेगी

विशेषज्ञ मानते है कि आइस क्लाइम्बिंग के जरिये लाहौल में ग्रामीण पर्यटन को संजीवनी मिलेगी। घाटी के भौगोलिक पृष्ठभूमि आइस क्लाइम्बिंग के साथ , आइस हॉकी, स्कीईंग स्लेजिंग, विंटर कैंपिंग के लिये माकूल है इससे युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
पर्वतारोही भरत भूषण जो पिछले दस सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे है, ने बताया कि टनल से घाटी में साहसिक पर्यटन व ट्रेकिंग की संभावनायें बहुत बढ़ गई हैं। यहाँ अत्यधिक ठण्ड से फ्रोजन वाटर फॉल बन रहे है जोकि इसके बहुत माकूल हैं।आने वाले समय में बाहर से लोग आएंगे व गांवों में ठहरेंगे, जिससे गांव में पर्यटन बढ़ेगा और युवा भी प्रेरित होंगे।

इन्स्ट्रक्टर प्रीति डांगर ने कहा कि युवा इसके लिए खुद के कृत्रिम फ्रोजन वाटर फॉल बना सकते है, आइस पार्क बनाया जा सकता है, आइस हॉकी खेली जा सकती है, स्कीईंग की जा सकती है , सलेजिंग की जा सकती है , विंटर कैंपिंग व एवलांच कोर्स कराए जा सकते है ,जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

नैनीताल से आये पर्वतारोही अनिल ने बताया कि वाटर आइस क्लाइम्बिंग में थोड़ा रिस्क है लेकिन पहाड़ो के लोग सीख सकते है। थोड़ा बेसिक जानकारी हो तो आने वाले समय मे इसकी संभावना बहुत बढ़ सकती है । वहीँ स्थानीय पर्यटन व्यबसायी व साहसिक खेलो में रुचि रखने वाले सुनील कुमार ने बताया टनल से सुविधा बढ़ गयी है उन्होंने बताया कि यहाँ साहसिक खेलो की अपार संभावनाएं है। यहाँ के युवाओं को थोड़ा ट्रेनिंग से आइस क्लाइम्बिंग कर सकते है।

उपायुक्त पंकज राय ने इस बारे में बताया कि’ स्नो फ़ेस्टिवल ‘ के माध्यम से संस्कृति के साथ- साथ साहसिक पर्यटन के लिए ढांचा विकसित करने के लिए प्रशासन भरपूर प्रयास कर रहा है ताकि अगले शरद ऋतु में पर्यटकों को यह सब अनुभव करने की सुविधाएं मिलें।

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