मंडी। मौसम की बेरुखी से किसान परेशान हैं। करसोग में लंबे समय से पड़े सूखे की वजह से खेतों में गेहूं की फसल पीली पड़ गई है और मटर की फसल भी सूखने लगी है. ऐसे में हजारों किसानों के सामने रोटी का संकट पैदा हो गया है।
उपमंडल में रबी के सीजन में गेहूं सहित मटर की प्रमुख फसलें है। इसके अलावा किसानों ने लहुसन, प्याज, आलू व सरसों की भी बिजाई की है, जिसके लिए बहुत से किसानों ने बैंकों से बीज खरीदने को लोन ले रखा है। ऐसे में फसलों को हुए नुकसान से किसानों को बैंकों से लिए लोन को चुकाने की भी चिंता सताने लगी है।
करसोग में सूखे की चपेट में फसल
इसके अलावा अगली खरीफ की फसल न आने तक किसानों के सामने दो वक्त की रोटी का भी संकट पैदा हो गया है। लंबे समय से बारिश न होने से कितने हेक्टेयर भूमि में फसल सूखे की चपेट में आई है। कृषि विभाग के करसोग खंड कार्यालय के पास ऐसा कोई आंकड़ा अभी उपलब्ध ही नहीं है।
किसान बारिश का कर रहे इंतजार
विभाग के अधिकारियों ने एक दो दिनों में फील्ड से जानकारी जुटाए जाने की बात कही है. विंटर सीजन में सामान्य की कम हुई बारिश के कारण खेत सूखे पड़े हैं। जिसका असर फसल की ग्रोथ पर भी पड़ा है। ऐसे में किसान पिछले कई दिनों से बारिश के इंतजार में है. यही नहीं इस साल सामान्य से कम बारिश होने से बागवानों की भी मुश्किलें बढ़ गई है. सूखा पड़ने से स्टोन फ्रूट सहित सेब की पैदावार पर भी असर पड़ सकता है।
28 फरवरी तक मंडी में 32.2 मिलीमीटर बारिश
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक विंटर सीजन में एक जनवरी से 28 फरवरी तक मंडी जिला में 32.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो कि सामान्य से 76 फीसदी कम है. इस अवधि में सामान्य बारिश का आंकड़ा 134.1 मिलीमीटर बारिश का है।
कम बारिश से फसलों को नुकसान
इसी तरह अगर प्रदेश की बात की जाए तो विंटर सीजन में 32.2 मिलीमीटर बारिश हुई है. यह सामान्य से 69 फीसदी कम है। इस अवधि में प्रदेश भर में सामान्य बारिश का आंकड़ा 192.7 मिलीमीटर बारिश का है। ऐसे में कम बारिश फसलों को नुकसान पहुंचा है.।
विभाग तैयार करेगा रिपोर्ट
कृषि विभाग करसोग खंड के विषय वार्ता विशेषज्ञ मुंशी राम ठाकुर का कहना है कि बारिश न होने से फसलों को नुकसान हुआ है। इस बारे में एक दो दिनों में रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
फसल के लिए लोगों ने बैंकों से लिया लोन
किसान जगतराम का कहना है कि सूखा पड़ने से फसलें मुरझा गई हैं। सर्दियों के मौसम में अभी तक दो बार ही बारिश हुई है। उन्होंने कहा कि मटर और गेहूं के बीज को बैकों से पैसा लिया है। अब फसल न होने से खाने के लिए राशन ही नहीं होगा तो बैंक का कर्ज कैसे चुकाएंगे।