शिमला। हिमाचल किसान सभा ने प्रदेश सरकार द्वारा पेश किये बजट को किसान विरोधी करार दिया है। किसान सभा के पदाधिकारियों राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर, कार्यकारी सचिव डॉ ओंकार शाद तथा राज्य वित्त सचिव सत्यवान पुण्डीर ने जारी संयुक्त बयान में कहा कि इस बजट से किसानों को निराशा ही हाथ लगी है।
सरकार को चाहिए था कि जिस किसान ने कोरोना महामारी के दौर में इस अर्थव्यवस्था को बचाने में अपनी अहम भूमिका निभाई, कहां तो उसकी आमदनी को बढ़ाने व किसानों की फसलों के वाजिब दाम सुनिश्चित करने का प्रावधान करना चाहिए था पर सरकार ने केवल एक ही रट किसानों की आय दुगनी करने की लगाकर की किसानों के साथ छलावा किया है। सरकार का बजट यह बताने में नाकाम है कि आखिर किसानों की आय दुगनी कैसे होगी? क्या कृषि क्षेत्र में दिए जा रहे अनुदान को खत्म करके? या फिर कृषी क्षेत्र में सरकारी खर्च को खत्म करके?
प्रदेश में फल, सब्जी एवं दूध के क्षेत्र में जुड़े अधिकांश परिवारों की आय बढ़ाने के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं है। फसलों व सब्जियों पर आधारित किसी भी तरह के उद्योगों को लगाने का कोई भी प्रयास सरकार का नहीं है, जबकि मक्की, टमाटर, लहसुन, अदरख आदि पर उद्योगों की अत्यंत आवश्यकता है। इसी प्रकार से दूध के दाम केवल 2 रुपये बढ़ा कर आखिर सरकार क्या साबित करना चाहती है?किसान नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिस प्रकार से केंद्र सरकार की मंशा है उसी तर्ज पर प्रदेश सरकार भी किसानों और किसानी की अनदेखी कर रही है।
किसान सभा का मानना है कि हिमाचल जैसे पहाड़ी प्रदेश में जलवायु के तुलनात्मक लाभ उठाने की क्षमता है लेकिन इसके लिए सरकार की दूरदर्शिता तथा नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।