शिमला में छात्र-अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ बोला हल्ला

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शिमला। क्षेत्र में स्कूलों की मनमानी के खिलाफ छात्र-अभिभावक मंच ने मंगलवार को शिक्षा निदेशालय के बाहर हल्ला बोला। मंच ने सरकार पर निजी स्कूलों की मनमानी रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया। मंच के पदाधिकारियों ने निजी स्कूलों के खिलाफ शिकंजा कसने के लिए ज्ञापन भी सौंपा। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने बताया कि कोरोना की आड़ में निजी स्कूलों ने 15 से 65 फीसदी तक फीस बढ़ाकर अभिभावकों की कमर तोड़ दी है। इस पर अतिरिक्त निदेशक ने भरोसा दिया कि दो दिन के भीतर वर्ष 2021 में निजी स्कूलों की ओर से की जा रही 15 से 65 फीसदी तक की वृद्धि पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए जाएंगे।मेहरा ने कहा है कि प्रदेश सरकार की नाकामी के कारण निजी स्कूल अब खुलकर मनमानी करने पर उतर आए हैं। स्कूलों ने कंप्यूटर फीस दोगुना कर दी है। जो अभिभावक फीस वृद्धि का विरोध कर रहे हैं, उनके बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। आईवी स्कूल इसका प्रमाण है। कुछ निजी स्कूल फीस बढ़ाने पर अपने स्टाफ को पूरा वेतन तक नहीं दे रहे हैं। मंच की इन मांगों को सुनने के बाद अतिरिक्त निदेशक ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि बिना जनरल हाउस की मंजूरी के फीस बढ़ोतरी को अमान्य किया जाएगा और निजी स्कूलों को अभिभावकों की आम सभा कर पीटीए के गठन के लिए कहा जाएगा।

मंच के संयोजक ने कहा कि निजी स्कूल सीबीएसई और हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के दिशा निर्देशों के मुताबिक एनसीईआरटी और एससीईआरटी की सस्ती किताबों को लगाने की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की रेट में चार चार गुणा महंगी किताबें बेच कर पढ़ा रहे हैं। इन किताबों का आर्थिक बोझ अभिभावकों पर डाल कर मुनाफाखोरी कर रहे है। निजी स्कूल खुलेआम एनुअल चार्जेज, एडमिशन फीस के मद बदलकर वसूल रहे हैं।

स्कूल बंद होने पर भी दिए जा रहे फीस जमा करवाने के मैसेज
कोरोना के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सरकार के फैसले के मुताबिक 15 अप्रैल तक स्कूल बंद होने पर भी निजी स्कूल अभिभावकों को तुरंत फीस जमा करवाने के मैसेज भेज रहे हैं। इसका उदेश्य अभिभावकों को दबाव में लाकर मनमानी फीस जल्द से जल्द वसूलना ही है।

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