करसोग। रबी सीजन में सूखे और बेमौसमी बारिश की वजह से बर्बाद हुई फसलों से नुकसान झेल रहे किसानों की उम्मीदों को समय से पहले पहुंचे मानसून ने पंख लगा दिए हैं। करसोग में झमाझम हुई बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं और मक्की की बिजाई का कार्य शुरू हो गया है। यहां पारंपरिक फसलों में गेहूं के बाद मक्की ली जाने वाली प्रमुख फसल है। उपमंडल में करीब 2500 बीघा भूमि पर मक्की की बिजाई होती है, लेकिन इस बार समय से पहले मानसून के दस्तक देने से जमीन में पर्याप्त नमी है। ऐसे में समय पर बिजाई का कार्य शुरू होने से मक्की की फसल का एरिया बढ़ सकता है। इसी तरह से नकदी फसलों में बीन भी अधिक बिजाई की जाती है। अब अच्छी बारिश के बाद किसानों ने बीन लगाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके अतिरिक्त उपमंडल में शिमला मिर्च, टमाटर, बैगन व करेला आदि की पौथ भी काफी लगाई जाती है, लेकिन प्री मानसून सीजन में पड़े लंबे सूखे और फिर बाद में मूसलाधार बारिश और ओलावृष्टि के कारण सब्जियों को पौध को काफी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में इस बार उपमंडल में सब्जियों के उत्पादन पर इसका असर दिख सकता है। हालांकि की अब समय पर मानसून पहुंचने से किसानों के पास पिछले दिनों हुई भारी ओलावृष्टि और मूसलाधार बारिश से हुए नुकसान की भरपाई करने अवसर है। किसान नुकसान से उभरने के लिए अब मक्की और बीन की अधिक बिजाई करने में जुट गए हैं। ऐसे में अगर आने वाले समय में भी मानसून मेहरबान रहा हो इस बार करसोग में कई सालों बाद खरीफ सीजन में रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है। बता दें कि विंटर सीजन में पड़े लंबे सूखे और प्री मानसून सीजन में हुई बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि की वजह से मटर की 70 और गेहूं की 80 फीसदी फसल बर्बाद हो गई थी। इस तरह से रबी सीजन में किसानों को बीज का पैसा भी वापस नहीं मिला। जिससे करसोग के हजारों किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था।
किसान युवराज का कहना है कि इस बार समय पर अच्छी बारिश हुई है। जिससे जमीन में बहुत अच्छी नमी है। ऐसे में मक्की की बिजाई का कार्य शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि पिछली मटर और गेहूं की फसल सूखे की वजह से बर्बाद हो गई थी।